मुजफ्फरनगर में 5 सितंबर को किसानों की महासभा, शामिल होंगे पूर्व सैनिक, अर्थशास्त्री और कानून के विशेषज्ञ

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पिछले 8 महीने से दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर डटे किसानों के साथ कानूनविद, अर्थशास्त्री और पूर्व सैन्य अधिकारी भी शामिल होंगे। किसान संसद में इन विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा ताकि अनुभवों को साझा कर, आंदोलन में नई जान जान फूंकी जा सके। संयुक्त किसान मोर्चा ने इस पर फैसला लेने के बाद सभी विशेषज्ञों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है ताकि आंदोलन को और मजबूती मिल सके। सोमवार से मिशन यूपी का आगाज करने के बाद मोर्चा ने पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में किसान महासभा के आयोजन की भी तैयारियां शुरू कर दी है। इसमें देश भर के किसान शामिल होंगे। 

संयुक्त किसान मोर्चा के डॉ. बलबीर सिंह राजेवाल ने बातचीत में कहा कि अपनी मांगों के समर्थन में किसानों के आंदोलन को कमजोर नहीं होने दिया जाएगा। किसानों को कई नाम से पुकारा गया, इसलिए किसान संसद में समाज के प्रबुद्ध वर्ग के विशेषज्ञों को शामिल होने का मौका दिया जा रहा है। मानसून सत्र के दौरान अलग अलग वर्गों को बारी बारी से देश की मौजूदा कृषि व्यवस्था, कानून और अर्थव्यवस्था से जुड़े तमाम पहलुओं पर विस्तार से चर्चा होगी। किसान संसद में पारित होने वाले प्रस्तावों को संसद में विचार के लिए भेजा जाएगा ताकि इसपर सरकार गौर करे। किसानों की बातों को नजरअंदाज किया गया है, लेकिन विशेषज्ञों की राय से शायद किसानों की मांगों पर सुनवाई हो। 

संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से जारी पीपुल्स व्हीप पर भी नजर रखी जा रही है। इसमें सदन का बहिष्कार करने के बजाय किसानों के मुद्दों को संसद में उठाने का आग्रह किसानों ने किया है। डॉ. सुच्चा सिंह गिल, पी साईनाथ, देवेन्द्र सिंह सहित देश के पूर्व ब्यूरोक्रेट्स को भी किसान संसद में शामिल किया जाएगा। 

किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि सर्दी, गर्मी और बारिश के दौरान भी किसानों ने शांतपूर्ण तौर पर विरोध जताया है। मिशन यूपी के तहत कानूनों के बारे में लोगों को जागरूक किया जाएगा ताकि अगली बार सरकार बनाने से पहले सभी पहलुओं पर मंथन कर सकें। 

यूपी मिशन के बाद किसानों ने उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 5 सितंबर को किसान महासभा के आयोजन का फैसला लिया है। इसमें देश भर के किसानों को कृषि कानूनों के साथ साथ देश की अर्थव्यवस्था पर नए कानूनों के प्रभाव और मौजूदा हालात पर मंथन किया जाएगा। इस दौरान जनता को भी जागरूक किया जाएगा कि देश में खेती और किसानों की क्या अहमियत है।