E-SIM का अगर करते है इस्तेमाल- तो हो जाइये सावधान

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E-SIM CARD
E-SIM CARD

आपके बैंक अकाउंट खाली करने वाले साइबर ठगों का मायाजाल बढ़ता ही जा रहा है ऐसे में टेक्नोलॉजी में बदलाव के साथ ही साइबर फ्रॉड भी नए-नए तरीकों से लोगों से ठगी कर रहे है। टेलीकॉम कंपनी अपने प्रोडक्ट को बेचने और लोगों की सुविधा के लिए टेक्नोलॉजी में बदलाव कर E-SIM सर्विस लाई लेकिन यही E-SIM साइबर ठगों के लिए नया हथियार बन गया। E-SIM के जरिए साइबर ठग करोड़ों रुपए का फ्रॉड कर चुके हैं।

क्या है ये E-सिम?

कई टेलीकॉम सर्विस ऑपरेटर आजकल E-SIM की सर्विस दे रही हैं यह आईफोन और वन प्लस मोबाइल के कुछ मॉडल में ही मौजूद है। मोबाइल में स्पेस बचाने के लिए E-SIM की सुविधा दी जाती है असल में यह सिम न होकर एक वर्चुअल E-SIM होती है। जो मोबाइल के सॉफ्टवेयर से ही ऑपरेट होती है इसी सिम से नंबर भी इश्यू कर सकते हैं। इस सिम को टेलीकॉम कंपनी के स्कैनर और डिटेल भरने के बाद मोबाइल में एक्टिवेट किया जा सकता है सबसे बड़ी दिक्कत सिम एक्टिवेशन से ही शुरू होती है।

SIM Re-Activation होता है ठगी का कारण

इस मामले में साइबर एक्सपर्ट Prateek Saxena बताते हैं कि E-SIM यूजर से ठगी साइबर ठग आसानी से कर लेते है। इसका कारण है टेक्निकल नॉलेज की कमी दरअसल, महंगे मोबाइल में एक ही फिजिकल सिम का ऑप्शन होता है। यूजर की सुविधा के लिए दूसरी सिम एक्टिव करने के लिए E-SIM सर्विस दी जाती है। नेटवर्क प्रोवाइडर कंपनी जैसे- एयरटेल, जिओ, बीएसएनएल, वोडाफोन से वर्चुअल सिम को एक्टिव किया सकता है। E-SIM को रिमोटली ऑन और ऑफ किया जा सकता है। ऑफ करने के बाद ऑन करने के लिए QR कोड की जरूरत होती है, जो ऑपरेटर कंपनी देती है। यह QR कोड कस्टमर की मेल आईडी पर भेजा जाता है इसी क्यूआर कोड को स्कैन कर ठगी का खेल शुरू हो जाता हैं।

सिर्फ एक मैसेज से हो जाती है ठगी

साइबर अपराधी लोगों को कंपनी की तरह दिखने वाले नंबर से नॉर्मल टेक्स्ट मैसेज करते हैं मैसेज में बताया जाता है कि आपका E-SIM बंद होने वाला है उसके लिए आपको अपडेटेड KYC करवानी होगी। कस्टमर को बताया जाता है कि आपको कंपनी के नंबर पर ही मैसेज भेजना होगा, जिससे आपकी KVC अपडेट हो जाएगी। ऐसी बातें सुनकर लोग साइबर ठगों पर भरोसा कर लेते हैं थोड़ी ही देर में साइबर ठग खुद मैसेज बनाकर यूजर को सेंड करते हैं। कस्टमर से कहा जाता है कि आपको केवल UPDATE लिखकर मैसेज कंपनी के नंबर पर भेजना है अगर इसे सावधानी से नहीं पढ़ा जाए तो कोई भी आसानी से शिकार बन जाता है। मैसेज में मोबाइल नंबर तो यूजर का होता है लेकिन ई-मेल आईडी साइबर ठगो की होती है।

आपको बता दे की जिस नंबर पर मैसेज भेजने के लिए साइबर ठग कहते हैं, वह भी नेटवर्क कंपनी का ही होता है यूजर जैसे ही कंपनी के नंबर पर अपडेट लिखकर भेजता है। कुछ देर बाद ऑपरेटर कंपनी ई-मेल आईडी पर QR कोड भेजती है। QR कोड को स्कैन करते ही यूजर के मोबाइल से नेटवर्क गायब हो जाता है। साइबर ठग चंद पलों में अपने मोबाइल पर नई E-SIM एक्टिव कर लेते हैं। सिम एक्टिव होने के बाद बैंक खातों के एक्सेस भी चला जाता है। मिनटों में पूरा बैंक बैलेंस गायब कर देते हैं। साइबर एक्सपर्ट Prateek Saxena ने बताया कि E-SIM फ्रॉड से बचने लिए यूजर को सतर्क होना बहुत जरूरी है। कोई भी व्यक्ति खुद को टेलीकॉम कंपनी प्रतिनिधि बनकर केवाईसी या अन्य टेक्निकल प्रॉब्लम बताकर कॉल या मैसेज करता है तो ध्यान नहीं दें।