बनाए गए नियमों का किया उल्लंघन, तो क्या अब Amazon पर लगेगा 7 दिनों का प्रतिबंध ?

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कोरोना काल में लोग जमकर ऑनलाइन शॉपिंग कर रहे हैं. ई-कॉमर्स कंपनियां जमकर चांदी काट रही हैं. ये कंपनियां व्यापार करने के लिए बनाए गए नियमों का उल्लंघन भी कर रही है. इन मसलों का संज्ञान लेते हुए उपभोक्ता मामलोंं के मंत्रालय ने 25 हजार रुपये का मामूली जुर्माना भी लगाया है. ई-कॉमर्स कंपनियों ने अपने प्लेटफॉर्म में बेच रहे उत्पादों का निर्माण देश यानी कंट्री ऑफ ऑरिजिन का ब्यौरा नहीं दिया था. व्यापारिक संगठन कैट (कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स) ने इस जुर्माने को नाकाफी करार दिया है. कैट ने ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन पर 7 दिनों की पाबंदी लगाने की मांग की है.

कैट ने कहा कि जुर्माना लगाने के पीछे मकसद है कि कंपनियां ऐसी गलती दोबारा नहीं करे. इन कंपनियों के खिलाफ सरकार ऐसा सख्त कार्रवाई करे जो एक नजीर बने. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि इतना मामूली जुर्माना लगाया जाना न्यायिक और प्रशासन का मजाक उड़ाना भर है. कैट ने मांग की है कि जुर्माना या सजा का प्रावधान अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान के हिसाब से लगाया जाना चाहिए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आह्लवाहन किए गए वोकल फोर लोकल और आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूत करने के लिए जरूरी है कि उत्पादों का कंट्री ऑफ ऑरिजिन का ब्यौरा दिया जाए. लेकिन ई-कॉमर्स कंपनियां लगातार नियमों और कानूनों का खुला उल्लंघन करने पर उमड़ा है. कैट ने मांग की है कि इन कंपनियों द्वारा पहली गलती किए जाने पर 7 दिनों और दूसरी बार गलती किए जाने पर 15 दिनों का प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. कैट ने यह भी कहा कि ऐसे नियमों के उल्लंघन करने पर कंपनियों के खिलाफ केंद्र सरकार तय प्रावधानों के तहत जुर्माना लगाए.

कैट ने कहा है कि अमेजन जैसी बड़ी वैश्विक ई कॉमर्स कंपनी के लिए 25 हजार रुपये का जुर्माना काफी मामूली रकम है. अगर जुर्माने की राशि या सजा का प्रावधान सख्त होगा तो ये कंपनियां नियमों का उल्लंघन करने से पहले कई बार सोचेगी. कैट ने यह भी मांग की है कि फ्लिपकार्ट और मिंत्रा जैसे ई कॉमर्स कंपनियों के लिए भी इस नियम को समान रूप से लागू किया जाना चाहिए