अक्टूबर में लग सकता है बड़ा झटका! सीएनजी और पीएनजी के बढ़ सकते दाम, इतनी बढ़ सकती हैं कीमतें

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LPG cylinder hike

अगले महीने आम आदमी को महंगाई का एक और झटका लगने वाला है. दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में सीएनजी और पाइप से रसोई गैस की कीमतों (पीएनजी) में अगले महीने 10-11 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है. आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने एक रिपोर्ट में कहा कि सरकार अक्टूबर में गैस की कीमत में लगभग 76 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकती है. गैस के दाम में बढ़ोतरी से गाड़ी चलाना और खाना बनाना महंगा हो जाएगा.

आपको बता दें कि नई डॉमेस्टिक गैस पॉलिसी 2014 के तहत हर छह महीने में नेचुरल गैस की कीमतें तय की जाती है. यह फॉर्मूला विदेशी कीमतों पर आधारित है. अगली समीक्षा 1 अक्टूबर को होगी. अक्टूबर के बाद अप्रैल 2022 में गैस की कीमतें तय होंगी.

ब्रोकरेज ने कहा कि कीमत, जिसे एपीएम या एडमिनिस्टर्ड रेट कहा जाता है, 1 अक्टूबर, 2021 से 31 मार्च, 2022 की अवधि के लिए 3.15 अमेरिकी डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) हो जाएगी, जो मौजूदा 1.79 डॉलर है.

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के केजी-डी6 और बीपी पीएलसी जैसे गहरे पानी के क्षेत्रों से गैस की दर अगले महीने बढ़कर 7.4 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू हो जाएगी.

बता दें कि नेचुलर गैस वह रॉ मेटेरियल है जिसे ईंधन के रूप में ऑटोमोबाइल में उपयोग के लिए कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) में कन्वर्ट किया जाता है या खाना पकाने के लिए घरेलू रसोई में पाइप किया जाता है.

आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने एक रिपोर्ट में कहा है कि सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूटर्स को अक्टूबर में कीमतों में 10-11 फीसदी की बढ़ोतरी करनी होगी. अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में चलन के अनुसार, अप्रैल 2022 से सितंबर 2022 में एपीएम गैस की कीमत 5.93 अमेरिकी डॉलर प्रति एमएमबीटीयू और अक्टूबर 2022 से मार्च 2023 के दौरान 7.65 अमेरिकी डॉलर प्रति एमएमबीटीयू होने की संभावना है.

इसका मतलब अप्रैल 2022 में सीएनजी और पाइप्ड प्राकृतिक गैस (पीएनजी) की कीमतों में 22-23 फीसदी और अक्टूबर 2022 में 11-12 फीसदी की बढ़ोतरी होगी.

एपीएम गैस की कीमत FY22 की पहली छमाही में 1.79 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू से FY23 की दूसरी छमाही में 7.65 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू तक बढ़ने का मतलब होगा कि एमजीएल और आईजीएल को अक्टूबर 2021 से अक्टूबर 2022 के दौरान 49-53 फीसदी की कीमतों में बढ़ोतरी करनी होगी.

गैस की कीमत में बढ़ोतरी से ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड (ऑइल) के साथ-साथ रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड जैसी निजी कंपनियों के मार्जिन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी.