चीनी उद्योगपति जैक मा को झटका! जिनपिंग सरकार कर सकती है अलीबाबा और एंट ग्रुप का राष्ट्रीयकरण

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चीन की कम्‍युनिस्‍ट सरकार की नीतियों और राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग की आलोचना करना अलीबाबा के संस्‍थापक जैक मा को भारी पड़ गया. शंघाई में एक कार्यक्रम के दौरान दिए भाषण के बाद दो महीने से ज्‍यादा बीत चुके हैं, लेकिन जैक मा किसी सार्वजनिक मंच पर नजर नहीं आए हैं. उनके लापता होने को लेकर दुनियाभर में तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. अब एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीनी सरकार जैक मा की अलीबाबा और एंट ग्रुप का राष्‍ट्रीयकरण करने की योजना बना रही है.

जैक मा ने 24 अक्टूबर 2020 को चीन के नौकरशाही तंत्र की आलोचना करते हुए भाषण दिया था. उन्‍होंने चीन के वित्‍तीय नियामकों और सरकारी बैंकों (PSBs) की सख्‍त निंदा की थी. यहां तक की उन्‍होंने चीन के बैंकों को गिरवी का काम करने वाले सूदखोर तक करार दे दिया था. उन्‍होंने सरकार से अपील की थी कि ऐसे सिस्‍टम में बदलाव किया जाए, जो युवा और नए कारोबार के प्रयासों को दबाने का काम करते हैं. इसके बाद गुस्‍साई चीन की कम्‍युनिस्‍ट सरकार ने एंट ग्रुप के आईपीओ को रोक दिया. इसके बाद जैक मा की कंपनियों पर कई पाबंदियां और जांच शुरू कर दीं. अब एक कदम आगे बढ़ते हुए जैक मा की कंपनियों के राष्‍ट्रीयकरण करने पर विचार किया जा रहा है ताकि देश की बाकी निजी कंपनियों को स्‍पष्‍ट संदेश दिया जा सके.

चीन की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के मुखपत्र पीपुल्‍स डेली ने कहा कि सरकार के एंटी मोनोपोली वर्क से कुछ बेहतर होने वाला है. डेली ने कहा कि पार्टी पोलित ब्यूरो पूंजी के अव्यवस्थित विस्तार को रोकने के लिए एंटी मोनोपोली वर्क को मजबूत करना चाहती है. एंटीट्रस्ट जांच जैसे ही आगे बढ़ेगी पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना, चाइना बैंकिंग रेग्‍युलेटरी कमीशन, चाइना सिक्योरिटीज रेग्‍युलेटरी कमीशन और स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज भी अलीबाबा के खिलाफ जांच में जुट जाएंगे. सीधे शब्‍दों में समझें तो अलीबाबा के लिए मुश्किल अभी बढ़ने ही वाली हैं. बता दें कि अलीबाबा-एंट ग्रुप का राष्ट्रीयकरण होने के बाद इन पर शी जिनपिंग का अधिकार हो जाएगा.

जैक मा ने अक्टूबर 2020 को शंघाई में हुए एक कार्यक्रम के दौरान कहा था, ‘नई खोज नए रेग्‍युलेशन के साथ अस्तित्‍व में आ सकती है लेकिन पुराने तरीके से बनाए गए रेग्‍युलेशन के साथ नहीं. हम एक हवाई अड्डे को ठीक उसी ढंग से मैनेज नहीं कर सकते, जिस ढंग से रेलवे स्‍टेशन को करते हैं या फिर भविष्‍य को हम ठीक उस तरह से मैनेज नहीं कर सकते, जिस तरह अतीत को करते हैं. आर्थिक जगत में हमें ‘गिरवी’ वाली मानसिकता से मुक्‍त होना होगा. हमें क्रेडिट सिस्‍टम के विकास पर निर्भर होना ही होगा. मैंने यह पाया है कि ‘गिरवी’ की मानसिकता चीन की सबसे गंभीर समस्‍या है. इससे काफी उद्यमी प्रभावित हुए हैं. उद्यमी को अपनी सारी संपत्ति गिरवी रखनी पड़ती है और यह बहुत गंभीर मामला है. ऐसी स्थिति में वे बहुत ज्‍यादा दबाव में रहते हैं.’