मायावती ने साफ तौर पर माना कि बसपा का दलित वोट बड़े पैमाने पर भाजपा को ट्रांसफर हो गया और उसी के चलते उसे बड़ी जीत मिल गई। मायावती ने कहा, ‘इस बार चुनाव में मुसलमानों का वोट एकतरफा सपा की ओर जाता दिखा। ऐसे में मेरे अपने समाज को छोड़कर बड़ी संख्या में हिंदू समाज के लोगों ने भाजपा को ही वोट दे दिया ताकि सपा का गुंडाराज न आ सके।’ उन्होंने बसपा की इस हार की तुलना 1977 में कांग्रेस की हालत से की। उन्होंने कहा कि ऐसे दौर में हमें हताश होने की बजाय भविष्य के लिए प्रयास करने चाहिए। हमें बाबासाहेब के जीवन संघर्ष को याद करते हुए काम करना होगा।
उन्होंने हार के लिए सपा को भी इस हार के लिए जिम्मेदार ठहराया, जिसने उन्हें भाजपा की बी टीम बताया। मायावती ने कहा कि मैं बीएसपी के सभी छोटे बड़े पदाधिकारियों और लोगों को धन्यवाद देती हूं, जिन्होंने जी-जान से काम किया है। मायावती ने माना कि बसपा का ग्राफ गिरा है और यह हमारे लिए चिंता की बात है। दिलचस्प बात यह है कि मायावती ने भी यह स्वीकार कर लिया है कि गैर-जाटव दलित वोटों का आधार बसपा से खिसका है और उसका बड़ा हिस्सा भाजपा के खेमे में चला गया है। यही वजह है कि उन्होंने खुलकर कहा कि मेरे अपने समाज के अलावा हिंदू समाज की अन्य जातियों का वोट सपा के गुंडों के डर से भाजपा को ट्रांसफर हो गया।