बिहार: कोरोना के चलते केवल पांच दिन के लिए विधानमंडल का सत्र आज से शुरू

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बिहार विधानमंडल का सत्र हंगामेदार होने के आसार हैं। इसके लिए विपक्ष पूरी तरह से तैयार है। 26 जुलाई से 30 जुलाई तक चलने वाले सत्र में जातीय जनगणना एवं फोन टैपिंग सहित कई मामले को विपक्ष सदन में उठाएगा। मानसून सत्र कोरोना संक्रमण को देखते हुए केवल पांच दिन ही चलेगा।

सत्र शुरू होने से पहले बिहार विधानसभा के परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर दिए गए हैं। चारों ओर सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए हैं। विधानमंडल का पिछला सत्र काफी हंगामेदार रहा था। सत्र के दौरान हंगामा इतना बढ़ा कि विधानसभा में पुलिस बुलानी पड़ी थी।

पुलिस वालों ने विधायकों को सदन से बाहर कर दिया था। हालांकि बिहार विधानसभा में 23 मार्च को विधायकों की हुई पिटाई के मामले में दो पुलिसकर्मियों शेषनाथ प्रसाद और रंजीत कुमार को इस मामले में निलंबित कर दिया गया है। 

बता दें कि बिहार विधान परिषद के 12 खाली सीटों के नाम की सरकार ने घोषणा की गई थी। हाल ही में जदयू में शामिल हुए उपेंद्र कुशवाहा को भी राज्यपाल ने विधान परिषद के लिए मनोनीत किया था। इसके साथ ही पूर्व मंत्री अशोक चौधरी, जनक राम, संजय सिंह, रामवचन राय, ललन सराफ, राजेंद्र गुप्ता, देवेश कुमार, प्रमोद कुमार, घनश्याम ठाकुर, निवेदिता सिंह उच्च सदन के लिए मनोनीत किए गए थे।

भाजपा और जदयू दोनों ने छह-छह सीटें साझा की हैं। बजट सत्र से पहले नीतीश सरकार के मंत्रिमंडल में देरी के बाद सभी की निगाहें राज्यपाल कोटे से विधान परिषद की 12 सीटों के मनोनयन पर थीं, जो कि मई 2020 से खाली थीं। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने किसी सदन का सदस्य बने बगैर नौ महीने तक मंत्री पद जारी रखने का मुद्दा उठाया था। 

बता दें कि भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव में आखिरी चरण की वोटिंग से पहले नीतीश सरकार के दो मंत्री अशोक चौधरी और नीरज कुमार की कुर्सी छीन गई थी। संवैधानिक बाध्यता के चलते इन दोनों मंत्रियों का पद खत्म किया गया।