राष्ट्रपति जो बाइडन ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बदली गई कई नीतियों को पलटकर उन पर पुन: वापसी का संकल्प लिया है। बाइडन ने शनिवार को घोषणा की कि ‘ट्रांस अटलांटिक गठबंधन’ में अमेरिका की वापसी हो चुकी है। इस गठबंधन में शामिल पश्चिमी देशों के समूह ने उनकी घोषणा का जोरदार स्वागत किया है।
वार्षिक ‘म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन’ को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये संबोधित करते हुए बाइडन ने ईरान के साथ परमाणु समझौते में अमेरिका के फिर से शामिल होने, चीन-रूस द्वारा पेश आर्थिक व सुरक्षा चुनौतियों से निपटने और कोरोना वायरस से हुए नुकसान की भरपाई जैसे मुद्दे भी उठाए।
बाइडन ने कहा है कि वह अमेरिका और पश्चिमी सहयोगियों के साथ रिश्तों को और मजबूत करेंगे। उन्होंने पूर्ववर्ती ट्रंप का नाम लिए बिना गठबंधन को फिर से आगे बढ़ाने पर जोर दिया जिसका सदस्य देशों ने जोरदार स्वागत किया। बाइडन ने कहा, ‘मैं जानता हूं कि पिछले कुछ साल में अटलांटिक महासागर के पार के देशों के साथ रिश्ते काफी खिंचाव भरे रहे। लेकिन अमेरिका अब दोबारा यूरोप के साथ प्रतिबद्धता जताना चाहता है, आपसे मशविरा करना चाहता है।’
राष्ट्रपति जो बाइडन ने डिजिटल तरीके से आयोजित सात औद्योगिक देशों के समूह की बैठक में भागीदारी पर पश्चिमी देशों के गठबंधन के साथ दोबारा लौटने की घोषणा का यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स माइकल ने स्वागत किया। वहीं, जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा कि अमेरिका-यूरोप के बीच अब भी कुछ मुद्दों पर मतभेद हैं। जैसे यूरोप चीन की आर्थिक महत्वाकांक्षा को बड़ा नहीं मानता जबकि अमेरिका के लिए यह अहम मुद्दा है। इसी तरह रूस को लेकर भी अमेरिका-यूरोप में मतभेद हैं
अफगानिस्तान से सैन्य वापसी पर भी अमेरिका ने कहा है कि वह जल्दबाजी में उनकी वापसी नहीं करेगा। अमेरिकी रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि युद्ध से तबाह देश में हिंसा की घटनाएं कम होनी चाहिए। उन्होंने वार्ता में और प्रगति की जरूरत बताई।
बता दें कि अमेरिका और तालिबान फरवरी 2020 में एक शांति समझौते पर पहुंचे थे जिसके तहत सभी विदेशी सैनिकों की वापसी होनी थी। ऑस्टिन ने कहा, अमेरिका हड़बड़ी में या अव्यवस्थित तौर पर अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी नहीं करेगा और ना ही गठबंधन की प्रतिष्ठा पर आंच आने देगा। फिलहाल सैनिकों की वापसी को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है।