दोगुनी हुई बैंको की कर्ज देने की क्षमता, आर्थिक सुधार और नीतिगत दखल का दिखेगा असर

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आर्थिक सुधार और नीतिगत दखल के कारण 2021-22 के दौरान बैंकों की कर्ज देने की क्षमता दोगुनी होकर करीब 10 फीसदी पहुंच जाएगी। चालू वित्त वर्ष के अंत तक एनपीए बढ़कर 10.5-11 फीसदी के स्तर पर पहुंच जाएगा, जो शुरुआती अनुमान से कम है।

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने बृहस्पतिवार को रिपोर्ट में कहा कि 2021-22 के दौरान बैंकों की कर्ज देने की क्षमता 4-5 फीसदी अंक बढ़कर 9-10 फीसदी पर पहुंच जाएगी। इसमें खुदरा कर्ज की हिस्सेदारी ज्यादा होगी, जबकि कॉरपोरेट कर्ज में भी 5-6 फीसदी का इजाफा देखने को मिल सकता है। अर्थव्यवस्था के संबंध में एजेंसी ने कहा कि 2020-21 में 7.7 फीसदी की गिरावट आने के बाद जीडीपी 2021-22 के दौरान 11 फीसदी की रफ्तार से आगे बढ़ेगी। हालांकि, लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामले आर्थिक सुधार को झटका दे सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020-21 के दौरान बैंकों के कर्ज देने की क्षमता बढ़ाने में आपातकालीन ऋण गारंटी योजना की बड़ी भूमिका रही है। इस दौरान दूसरी छमाही में कर्ज देने की क्षमता में वी आकार में सुधार देखने को मिला। वहीं, एनबीएफसी के संबंध में कहा गया है कि रियल एस्टेट जैसे क्षेत्र को जोखिम वाले कर्ज देने से मार्च, 2021 तक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का फंसा कर्ज बढ़कर 1.8 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया।