खून के थक्के जमने की शिकायत के बाद, अब कनाडा में 55 से कम उम्र वालों के लिए एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के प्रयोग पर रोक

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कनाडाई स्वास्थ्य अधिकारियों ने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन से खून के थक्के बनने की शिकायत को लेकर 55 वर्ष से कम उम्र के लोगों के लिए इस वैक्सीन पर रोक लगा दी है। इस संबंध में एनएसीआई पर राष्ट्रीय सलाहकार समिति से एक सिफारिश का पालन किया गया है। हेल्थ कनाडा ने एक बयान में कहा कि एस्ट्राजेनेका के टीके के बाद होने वाले थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (कम रक्त प्लेटलेट्स) और थ्रोम्बोसिस (रक्त के थक्के) के मामले सामने आने के बाद ये फैसला किया गया है।

कनाडा को अब तक एस्ट्रा ज़िनेका वैक्सीन की 500,000 खुराकें पहुंचाई जा चुकी हैं, जो सभी कोविशिल्ड ब्रांड के तहत सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा बनाई गई हैं। कनाडा में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी से 9 फरवरी को टेलीफोन पर बातचीत के दौरान टीके की आपूर्ति के लिए अनुरोध किया था। जिसके बाद बड़े पैमाने पर दो मिलियन डोज़ (सौदे का एक हिस्सा) देश में भेजे गए। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, अभी तक उस किश्त के 60 प्रतिशत से अधिक का उपयोग किया जा चुका है। वहीं 1.5 मिलियन खुराक इस सप्ताह संयुक्त राज्य अमेरिका से आने की उम्मीद है।

गौरतलब है कि कनाडा से पहले वैक्सीन की डोज लगवाने वाले लोगों में ब्लड क्लॉट की शिकायत आने के बाद डेनमार्क, नार्वे, ऑस्ट्रिया समेत सात यूरोपीय देशों ने एस्ट्राजेनेका की कोविड-19 वैक्सीन पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी थी। डेनमार्क के स्वास्थ्य अधिकारियों ने एस्ट्राजेनेका के सभी टीकाकरण को दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया था। ये फैसला डोज लगवानेवाली 60 वर्षीय महिला में ब्लड क्लॉट बनने के बाद लिया गया। स्वास्थ्य अधिकारियों ने बयान में कहा, “एस्ट्राजेनेका की कोविड-19 वैक्सीन से कई लोगों का टीकाकरण किया गया था। उसके बाद ब्लड क्लॉट के गंभीर मामले सामने आने के बाद कदम उठाया गया।”

बता दें कि हाल ही में कई देशों में एस्ट्राजेनेका की कोविड-19 वैक्सीन की डोज लगवाने वाले लोगों में ब्लड क्लॉट की शिकायत आने के बाद अब एस्ट्राजेनेका ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। कंपनी ने कहा था कि उनकी वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है। कंपनी के एक प्रवक्ता के अनुसार, ‘वैक्सीन के प्रभावों को लेकर हमनें लगभग 10 मिलियन रिकॉर्ड के सुरक्षा डाटा का गहन अध्ययन किया है. इसमें किसी भी देश से निर्धारित आयु वर्ग, या जेंडर में ब्लड क्लॉट के प्रमाण नहीं मिले थे। वैक्सीन लगाने वाले लोगों में इन ब्लड क्लॉट के बनने की संभावना सामान्य आबादी के मुकाबले बेहद कम है।’