आर्मी चीफ के साथ सेना के शीर्ष अधिकारियों ने दिल्ली में की बैठक, चीन और पाक सीमाओं पर सुरक्षा स्थिति पर हुई चर्चा

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    Army chief Meeting with top Army Officers

    भारतीय सेना के शीर्ष नेतृत्व ने अपने प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे के नेतृत्व में राष्ट्रीय राजधानी में गुरुवार से शुरू हुए दो दिवसीय सेना कमांडरों के सम्मेलन के दौरान चीन और पाकिस्तान सीमा पर सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की. सरकारी अधिकारियों ने कहा कि सेना के कमांडरों ने सीमाओं पर सुरक्षा स्थिति के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर चर्चा की.

    सेना के कमांडरों को पूर्वी सेक्टर में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की गतिविधियों सहित चीन सीमा पर स्थिति से अवगत कराया गया. चीन की ओर से एकतरफा आक्रामकता दिखाने के बाद पिछले साल अप्रैल-मई से भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध बना हुआ है. भारत ने चीनी आक्रमण का बहुत आक्रामक तरीके से जवाब दिया और कई स्थानों पर उनके कार्यों की जांच की. गलवान झड़प भी वहीं हुई, जिसमें दोनों पक्ष हताहत हुए.

    बिपिन रावत की मौत के बाद सेना के शीर्ष नेतृत्व की थी ये पहली बैठक

    भारत क्षेत्र में शांति स्थापित करने की दिशा में काम कर रहा है, लेकिन साथ ही दुश्मन सैनिकों की ओर से किसी भी दुस्साहस को विफल करने के लिए उच्च स्तर की तैयारी भी बनाए रखी है. दोनों पक्षों ने भारी हथियारों के साथ बड़ी संख्या में जवानों को इलाके में तैनात किया है. हेलिकॉप्टर दुर्घटना में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत की मौत के बाद सेना के शीर्ष नेतृत्व की ये पहली बैठक थी. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत की 8 दिसंबर को पत्नी मधुलिका रावत और 12 अन्य कर्मियों के साथ एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई थी.

    सैन्य परिवार से आते थे बिपिन रावत

    उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के सैंज गांव में 1958 में जन्मे जनरल बिपिन रावत सेना के अधिकारियों के परिवार से ताल्लुक रखते थे. उनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत सेना में लेफ्टिनेंट जनरल के पद से रिटायर हुए थे. सीडीएस बिपिन रावत राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखंड की मजबूत पहचान के तौर पर जाने जाते थे. सैन्य बहुल प्रदेश से वो जनरल बीसी जोशी के बाद दूसरे थल सेना प्रमुख बने, बल्कि सीडीएस की कुर्सी तक पहुंचने में कामयाब रहे. बिपिन रावत का लगातार उत्तराखंड आने से उनका जुड़ाव अपने प्रदेश से बना रहा.