दोहा में बातचीत के बाद अमेरिका बोला – तालिबान को उसके बयानों से ही नहीं, बल्कि उसके कामों से आंका जाएगा

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अफगानिस्तान में तालिबानी शासन को लेकर अमेरिका ने एक बार फिर बड़ा बयान दिया है। अमेरिका ने कहा कि अब तालिबान को उसके बयानों से नहीं बल्कि उसके कार्यों से आंका जाएगा। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने रविवार (स्थानीय समयानुसार) को कहा कि अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने कतर में दोहा वार्ता के दौरान काबुल के वरिष्ठ तालिबान प्रतिनिधियों से मुलाकात की और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर चर्चा की।  

अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने इन मुद्दों पर की चर्चा
अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने तालिबानी नेताओं के साथ सुरक्षा, आतंकवाद, अमेरिकी एवं अन्य विदेशी नागरिकों की सुरक्षा, अफगान भागीदारों के लिए सुरक्षित मार्ग पर ध्यान केंद्रित किया। इसके अलावा दोनों पक्षों द्वारा अफगान समाज के सभी पहलुओं पर चर्चा की गई। इनमें महिलाओं एवं लड़कियों के मुद्दे महत्वपूर्ण थे। दोनों पक्षों ने अफगान नागरिकों को मजबूत मानवीय सहायता के संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रावधान पर भी चर्चा की। चर्चा स्पष्ट और पेशेवर थी जिसमें अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने दोहराया कि तालिबान को अब केवल उसके बयानों से ही नहीं, बल्कि कार्यों से भी आंका जाएगा।

अगस्त के बाद अमेरिका और तालिबान की पहली बैठक
तालिबान और अमेरिका के प्रतिनिधिमंडलों ने कतर की राजधानी दोहा में अपनी पहली बैठक आयोजित की, ताकि संबंध को एक बार फिर से नया आयाम दिया जा सके। अगस्त के मध्य में अफगानिस्तान से अमेरिका के हटने के बाद से दोनों पक्षों के बीच यह पहली व्यक्तिगत बैठक है। समाचार एजेंसी स्पुतनिक ने अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी के हवाले से कहा कि अफगान सरकार और संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिनिधिमंडल ने कतर में अपने संबंधों के साथ-साथ अफगानिस्तान को मानवीय सहायता और दोहा शांति समझौते के कार्यान्वयन पर चर्चा की। समाचार एजेंसी ने कहा कि तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से, चीन और पाकिस्तान जैसे मुट्ठी भर राष्ट्र हैं जिन्होंने संगठन के साथ संबंध स्थापित करने में रुचि दिखाई है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के अन्य सदस्य प्रतीक्षा करें और देखें की नीति अपना रहे हैं।