म्यांमार में विरोध प्रदर्शन के दौरान 38 लोगों की मौत पर अमेरिका ने जताया दुख, कहा- हैरान करने वाली है सेना की बर्बर हिंसा

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म्यांमार में शांतिपूर्ण ढंग से असैन्य शासन को बहाल करने की मांग कर रहे लोगों के प्रति बरती जा रही हिंसा से अमेरिका बेहद स्तब्ध और दुखी है। बुधवार को यहां 38 प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा बलों की गोलीबारी में हुई मौत के बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा, जो तस्वीरें और खबरें मिल रही हैं वे हैरान करने वाली हैं।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइज ने कहा कि सैन्य तख्तापलट का विरोध कर रही म्यांमार की जनता पर बरसाई जा रही भयावहता और हिंसा दुखी करने वाली है। उन्होंने कहा, ‘हम सभी देशों का आव्हान करते हैं कि म्यांमार की सेना द्वारा अपने ही लोगों के खिलाफ की जा रही बर्बर हिंसा की वे एक होकर निंदा करें और सेना की कार्रवाई पर जवाबदेही की मांग करें।’

उन्होंने कहा, ‘हम सेना से मांग करते हैं कि पत्रकारों को तुरंत छोड़ा जाए और मीडिया को डराना धमकाना या प्रताड़ित करना बंद करें।’ उन्होंने कहा कि ‘अन्यायपूर्ण तरीके से हिरासत में लिए गए लोगों को भी छोड़ा जाए ताकि वे अपने वैश्विक अधिकारों का इस्तेमाल कर सकें।’ अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने दोहराया कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत-जापान अहम साझेदार हैं और हम म्यांमार के मामले में भी उनके साथ काम करते रहेंगे।

म्यांमार के लिए यूएन की विशेष दूत क्रिस्टीन श्रानेर बर्गनर ने कहा कि म्यांमार में सत्ता हथियाने वाले जनरलों ने संकेत दिया है कि वे नए प्रतिबंधों से डरते नहीं हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि सैन्य शासन की योजना के विरोध में देश में हो रहे विरोध से म्यांमार की सेना भी ‘सकते’ में हैं।

उन्होंने म्यांमार की सेना को चेताया था कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और विश्वभर के देश उसके खिलाफ कड़े कदम उठा सकते हैं। लेकिन सेना ने कहा कि हमारे लिए प्रतिबंध नई बात नहीं है, हमने पहले भी ऐसे प्रतिबंध झेले हैं। म्यांमार के अलग-थलग पड़ने के जवाब में सेना ने कहा, हमने कम मित्रों के साथ चलना सीखना होगा।

बर्गनर ने कहा, सेना ने मुझे अपनी योजना बताई थी कि वे लोगों को डराएंगे, उन्हें गिरफ्तार करेंगे और फिर अधिकतर लोग डर कर घर चले जाएंगे। इसके बाद फिर से सेना का नियंत्रण होगा और लोग हालात के आदी हो जाएंगे।