अफगानिस्तान में 24 घंटे के भीतर अफगान सैनिकों ने 385 तालिबान लड़ाकों को किया ढेर

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सरकारी मीडिया निदेशक की हत्या के बाद तालिबान के प्रति कड़ा रुख अपनाते हुए अफगानिस्तान की सेना ने बड़ी कार्रवाई की है। रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि बीते 24 घंटे में सैनिकों ने 385 लड़ाकों को मार गिराया। वहीं सैन्य कार्रवाई में 210 आतंकी घायल हुए हैं। 

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता फवाद अमान ने ट्वीट में कहा, अफगानिस्तान की सेना ने नानगढ़हार, लोगार, गजनी, पक्तिका, कंधार, मैदानवरदक, हेरात, फराह, समनगन, ताखर, हेलमंद, बगलान व कपीसा प्रांत में तालिबान लड़ाकों पर कड़ी कार्रवाई की है। सेना ने फैजाबाद, बदकशां व तालिकन में तालिबान हमले को निष्क्रिय कर दिया।

तालिबानी बंकरों पर बरसाए बम
सेना ने कुंदूज के बाहरी इलाकों में तालिबान के बंकरों को हवाई हमला कर निशाना बनाया। यहां संघर्ष में 11 नागरिकों की मौत हुई है जबकि 41 घायल हुए हैं।

ढेर आतंकियों में 30 पाकिस्तानी
हेलमंद प्रांत में तालिबान के ठिकानों पर लश्करगाह शहर में हुए हवाई हमले में 112 आतंकी मारे गए। इनमें 30 पाकिस्तानी मारे गए हैं। यह सभी अल-कायदा के सदस्य थे।

1659 लोगों को अब तक मार चुका है तालिबान
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, हिंसा में इस वर्ष की पहली तिमाही में 1659 लोग मारे गए व 3254 घायल हुए। उधर, व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जेन प्साकी ने नागरिकों के मारे जाने पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा, तालिबान अगर ऐसा सोचता है कि इस तरह वह वैश्विक मान्यता हासिल कर लेगा तो यह उसकी भूल है।

24 घंटे में तालिबान का दूसरी प्रांतीय राजधानी पर कब्जा
तालिबान ने 24 घंटे से भी कम समय में अफगानिस्तान की दूसरी प्रांतीय राजधानी पर कब्ज़ा कर  लिया है। आतंकियों ने करीब एक सप्ताह के संघर्ष के बाद शनिवार  को अफगानिस्तान की जावजान प्रांत की राजधानी शेबर्गन शहर पर  कब्जा कर लिया है। टोलो न्यूज ने यह जानकारी दी है। इससे पहले शुक्रवार को तालिबान ने दक्षिणी निमरूज प्रांत की राजधानी जरंज पर कब्जा कर लिया था।

संयुक्त राष्ट्र का दावा हिंसा में तीन लाख अफगानियों ने छोड़ा घर
संयुक्त राष्ट्र की एक समिति ने दावा किया है कि तालिबान की हिंसा के कारण अफगानिस्तान के तीन लाख से अधिक नागरिकों को घर छोड़ना पड़ा। 40 हजार लोगों ने ईरान में शरण ली है। माइग्रेशन की अंतरराष्ट्रीय संस्था ने चेताया कि हालात और बिगड़ेंगे।

अमेरिका ने अपने नागरिकों को अफगानिस्तान छोड़ने को कहा
काबुल स्थित अमेरिकी दूतावास ने शनिवार को एडवाइजरी जारी कर अपने लोगों को तुरंत अफगानिस्तान छोड़कर अपने घर लौट जाने की सलाह दी है। चूंकि हिंसा के कारण दूतावास के कर्मचारियों को भी अमेरिका वापस बुला लिया गया है। ऐसे में मुश्किल बढ़ने पर काबुल में मौजूद अमेरिकी नागरिकों की मदद करना भी मुश्किल होगा।

तालिबान द्वारा गुरुद्वारे से हटाया निशान साहिब फिर से लगाया
अफगानिस्तान के पक्तिया में एक ऐतिहासिक गुरुद्वारे से तालिबानी आतंकियों द्वारा हटाए निशान साहिब को फिर से लगा दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा की गई आलोचना के बाद शुक्रवार रात इसे पूरे सम्मान के साथ तालिबानियों ने ही वापस लगा दिया। पाक्तिया के चमकानी क्षेत्र में बने इस गुरुद्वारे को एक बार खुद गुरु नानक देव भी देख चुके हैं, इसे सिखों के लिए बेहद पवित्र माना जाता है। इंडियन वर्ल्ड फोरम के अध्यक्ष पुनीत सिंह चंडोक ने बताया कि उन्होंने घटना के बाद गुरुद्वारे के क्षेत्रीय प्रबंधक से बात की है। कुछ तालिबानियों ने वहां पहुंचकर निशान साहिब वापस लगवाया और गुरुद्वारे को अपनी परंपराओं के अनुसार चलने देने के निर्देश दिए। 
भारत में रह रहे अफगान नागरिक अपने देश के हालात से चिंतित
तालिबान आतंकियों द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जे के लिए तेज की जा रही जंग के बीच भारत में शरणार्थी दर्जा पाने के लिए पंजीकृत और यहां काम कर रहे हजारों अफगान नागरिकों में अपने घरों की चिंता बढ़ी है। वहां रह रहे अपने परिवारों और रिश्तेदारों की जान को संकट में पाकर वे डरे हुए हैं।

दिल्ली में अपने रेस्त्रां में पारंपरिक अफगानी जायका परोसने वाले 28 साल के हामिद खान व उनके रिश्ते के भाई 26 साल के सिकंदर नसीम लगातार अफगानिस्तान की खबरें पढ़ते रहते हैं ताकि अपडेट्स मिल सकें। वे तीन साल पहले भारत आए थे, लेकिन उनके माता-पिता पंजशीर घाटी में रहते हैं, जो उत्तर-पूर्वी अफगानिस्तान में है।

फिलहाल वहां हालात ठीक हैं, लेकिन वे नहीं चाहते कि इतिहास दोहराया जाए। वे माता-पिता को भारत लाना चाहते थे, लेकिन मौजूदा हालात में यह संभव नहीं। दिल्ली के कई इलाकों में हामिद और सिकंदर जैसे हजारों नागरिक रहते हैं। जैसे-जैसे तालिबान द्वारा नागरिकों की हत्या की खबरें सामने आ रही हैं, सभी का डर बढ़ रहा है।

भारत में शरणार्थी दर्जा पाने के दूसरे सबसे बड़े आवेदक
2019 में संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी मामलों के उच्चायुक्त के अनुसार भारत में 40 हजार लोग शरणार्थी दर्जा पाने के लिए पंजीकृत हैं। इनमें 27% अफगान हैं। कुल संख्या के लिहाज से दूसरे स्थान पर हैं। अफगान नागरिक आदिला बशीर के अनुसार वे अफगान छोड़कर भारत आई थीं, ताकि बेहतर जीवन जी सकें। वे ट्रैवल एजेंसी में काम करती हैं। अधिकतर लोगों को भारत में रोजगार मिलता है, कई अपना कारोबार भी शुरू करते हैं।