कांग्रेस पार्टी और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच कथित MOU को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार किया.CJI एसए बोबडे ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमने अब तक यह नहीं सुना कि एक देश की सरकार दूसरे देश की राजनीतिक पार्टी के साथ कोई समझौता करती हो
.सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने की सलाह दी है. इसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ली.याचिका में कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के बीच कथित MOU का ब्योरा मांगने और इसकी जांच एनआईए/सीबीआई से कराने की मांग की गई थी.
इसमें दावा किया गया है कि 2008 में जब कांग्रेस के नेतृत्व में UPA सत्ता में थी तब समझौता हुआ था.समझौते में उच्च-स्तरीय जानकारी, सहयोग का आदान-प्रदान करने के MOU का दावा किया गया है.ये याचिका वकील शशांक शेखर झा और पत्रकार सेवियो रोड्रिग्स ने दाखिल की है, इसमें कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस पार्टी और केंद्र सरकार को प्रतिवादी बनाया गया है.
याचिका में मीडिया रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि सात अगस्त 2008 को ये समझौता कांग्रेस और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच बीजिंग में हुआ था, इसमें दावा किया गया है कि दोनों के बीच उच्च स्तरीय सूचनाओं के आदान-प्रदान और उनके बीच सहयोग के लिए ये MOU साइन हुआ.यह भी दावा किया गया है कि इसमें दोनों पक्षों को “महत्वपूर्ण द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास पर एक-दूसरे से परामर्श करने का अवसर” प्रदान करने का समझौता भी हुआ.कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी ने सोनिया गांधी की मौजूदगी में इस पर हस्ताक्षर किए जबकि जिनपिंग उस समय उपराष्ट्रपति थे.