केरल में जीका वायरस का एक और केस मिला, तमिलनाडु और कर्नाटक ने बढ़ाई सख्ती, सीमा पर ई-पास किया अनिवार्य

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    देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर की रफ्तार सुस्त पड़ रही है, लेकिन कप्पा, डेल्टा वैरिएंट और डेल्टा प्लस वैरिएंट ने लोगों के बीच खौफ का माहौल पैदा कर रखा है। कोरोना महामारी के बीच अब देश में जीका वायरस ने दस्तक दे दी है। केरल में शनिवार को एक और जीका संक्रमित मिलने के बाद अब तक 15 से अधिक मामलों की मामलों की पुष्टि हुई है। इसके बाद तमिलनाडु और कर्नाटक ने अपने यहां सख्ती बढ़ा दी है। केरल से लगती सीमाओं पर कड़ी जांच के साथ ही ई-पास अनिवार्य कर दिया गया है। 

    दक्षिणी राज्य में जीका वायरस के मामलों की पुष्टि होने के बाद कर्नाटक और तमिलनाडु ने केरल से लगने वाली अपनी सीमा पर जांच तेज कर दी है। तमिलनाडु के सरकारी अधिकारियों ने बताया कि वालयार और मीनाक्षीपुरम में 14 रणनीतिक बिंदुओं और जांच चौकियों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है और वाहनों की जांच तेज कर दी गई है। केरल से तमिलनाडु जाने वाले लोगों के लिए ई-पास अनिवार्य कर दिया गया है। कर्नाटक भी केरल से आने वाले पर्यटकों की जांच करवा रहा है।

    बता दें कि केरल में अब तक जीका वायरस के 15 मामलों की पुष्टि हुई है। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि उनकी सरकार जिला और राज्य स्तर पर वायरस को नियंत्रण करने वाली इकाइयों को मजबूत करेगी। केरल सरकार ने जीका वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए का कार्य योजना तैयार की है। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा रही है।

    गर्भवती महिला समेत 15 संक्रमित, केंद्र ने भेजी टीम
    जीका वायरस का पहला मामला तिरुवनंतपुरम में आया है, जहां एक 24 वर्षीय गर्भवती महिला इसकी चपेट में आई। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि गर्भवती महिला की हालत स्थिर है और उसने 7 जुलाई को बच्चे को जन्म दिया है। इसके बाद से अब तक 15 मामले आ चुके हैं। सभी मामले तिरुवनंतपुरम जिले के हैं। जीका वायरस के प्रकोप की सूचना मिलने के बाद केंद्र सरकार ने विशेषज्ञों की एक टीम केरल भेजी है। संयुक्त सचिव (स्वास्थ्य मंत्रालय) लव अग्रवाल के अनुसार, छह सदस्यीय टीम में वायरस जनित रोग विशेषज्ञ और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टर शामिल हैं।

    क्या है जीका वायरस?
    जीका वायरस संक्रमित एडीज प्रजाति के मच्छर के काटने से फैलता है। ये संक्रमित मच्छर दिन और रात कभी भी किसी को भी अपनी चपेट में ले सकते हैं। एडीज मच्छर को एई के नाम से भी जाना जाता है, इजिप्टी और एई। एडिज एल्बोपिक्टस डेंगू, चिकनगुनिया और येलो फीवर जैसी बीमारियों का कारण भी बनता है।

    सीडीसी के अनुसार, संक्रमण के पहले वीक में जीका वायरस ब्लड में पाया जा सकता है और मच्छर के काटने से एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे मच्छर में भी सकता है। इसी तरह से एक संक्रमित मच्छर दूसरे मच्छरों और काटने पर मानवों को भी प्रभावित कर सकता है। इसलिए सभी सावधानियां बरतें।

    पहली बार युगांडा के बंदरों में मिला था
    विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, जीका वायरस एडीज मच्छरों के काटने से फैलता है जो कि दिन व शाम के वक्त सक्रिय होते हैं। यह पहली बार 1947 में युगांडा के बंदरों में पाया गया था। इसके बाद 1952 में युगांडा और तंजानिया में मानवों में पाया गया था। जीका वायरस की मौजूदगी एशिया, अफ्रीका, अमेरिका पैसिफिक आइलैंड में पाई जा चुकी है।

    भारत में 2017 में मिला था पहला केस
    2015 में जीका वायरस ब्राजील में बड़े पैमाने पर फैल गया था। इससे 1600 से अधिक बच्चे विकृति के साथ पैदा हुए थे। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने पहली बार नवंबर 2018 में जीका वायरस को अलग करने में सफलता पाई थी। भारत में पहली बार जनवरी 2017 में जीका वायरस का केस मिला था। इसके बाद जुलाई 2017 में तमिलनाडु में भी केस मिले थे।