योगी सरकार ने आगरा म्यूजियम का नाम बदल कर छत्रपति शिवाजी महाराज म्यूजियम रखा , अब अधिकारी खोज रहे शिवाजी का लिंक

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उत्तर प्रदेश में आगरा के मुगल म्यूजियम का नाम अब छत्रपति शिवाजी महाराज म्यूजियम होगा, लेकिन इसके निर्माण में और देरी होने की संभावना है. हालांकि पहले से ही फंड की कमी और बढ़ती लागत की वजह से इसका निर्माण कार्य तय समय से पीछे चल रहा है. लेकिन अब एक नई समस्या से इसके निर्माण में और देरी हो सकती है क्योंकि अधिकारी आगरा और शिवाजी के बीच लिंक की तलाश करने में जुटे हुए हैं.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संग्रहालय का नाम बदलने का ऐलान किया था. उनका कहना था कि नए उत्तर प्रदेश में गुलामी की मानसिकता के प्रतीकों के लिए कोई जगह नहीं है. यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने जनवरी 2016 में इस संग्रहालय का शिलान्यास किया था. यह म्यूजियम ताज महल के पूर्वी गेट से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

अंग्रेजी समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस परियोजना पर 141 करोड़ रुपये खर्च होने थे. यह परियोजना दो साल में पूरी होने वाली थी जबकि अब तक सिर्फ 70 फीसदी काम निपट पाया है. इसके लिए अब तक 90 करोड़ रुपये मंजूर हुए हैं. जीएसटी और समय लंबा खींचने की वजह से इसके निर्माण की अनुमानित लागत 170 करोड़ रुपये से ज्यादा होने की संभावना है.

निर्माण में देरी और बढ़ी हुई लागत के बीच संग्रहालय के लिए जरूरी ठोस सामग्री को 200 किलोमीटर दूर नोएडा से लाया जा रहा है. ताज ट्रापेजियम जोन में इस तरह की ढलाई पर रोक है. सूत्रों ने बताया कि परियोजना की व्यवहार्यता को लेकर सरकार ने हाल ही में आर्किटेक्ट के साथ साथ राजकीय निर्माण निगम से इसके लिए ‘बिजनेस प्लान’ की मांग की थी. राजकीय निर्माण निगम के पास ही संग्रहालय को बनाने की जिम्मेदारी है. वहीं वित्त विभाग की तरफ से अभी अतिरिक्त फंड को जारी नहीं किया गया है.

संग्रहालय का नाम बदले जाने पर पर्यटन विभाग आगरा के उपनिदेशक अमित श्रीवास्तव ने कहा, ‘निश्चित रूप से शिवाजी और आगरा के बीच एक कड़ी है. औरंगजेब के जमाने में आगरा फोर्ट पर उन्हें कैद करके रखा गया था, लेकिन बहादुरी के साथ वह वहां से बच निकलने में कामयाब रहे थे.’ अमित श्रीवास्तव कहते हैं कि पर्यटन विभाग आगरा में भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी के इतिहासकारों के साथ मिलकर शिवाजी के लिंक के बारे में जानने का प्रयास करेगा. आधिकारिक तौर पर परियोजना में एक साल की और देरी हो सकती है.

वहीं भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में इतिहास और संस्कृति विभाग में सहायक प्रोफेसर बी डी शुक्ला को आशंका है कि संग्रहालय के निर्माण में अधिक समय लग सकता है. 1666 में आगरा में शिवाजी के समय को याद करते हुए उन्होंने कहा, “शिवाजी ने अपने सभी किले गंवा दिए. इसके बाद औरंगजेब ने उन्यें यहां बुलाया. लेकिन शिवाजी को तब गुस्सा आया जब उनके साथ अच्छा बर्ताव नहीं किया गया. बाद में उन्हें राम सिंह की कोठी में बंदी बना लिया गया. हालांकि, अभी तक न तो एएसआई और न ही किसी इतिहासकार को 100 फीसदी यकीन है कि राम सिंह की कोठी कहां है.”

कहा जाता है कि शिवाजी फलों की टोकरी में छिपकर यमुना नदी के जरिये नाव से यहां से बच निकले थे. अधिकारियों को उम्मीद है कि वे उन सभी जगहों की तलाश कर लेंगे जहां जहां शिवाजी गए थे.