उत्तर प्रदेश के शुगर इंडस्ट्री को झटका : एथनाल के निर्यात पर छाए संकट के बादल, किसानों के भुगतान पर पड़ेगा असर

216

एथनॉल उत्पादन की तरफ आगे बढ़ रही उत्तर प्रदेश की शुगर इंडस्ट्री को करारा झटका लगा है। भारत पेट्रोलियम ने 477.50 करोड़ लीटर एथनॉल खरीद के लिए निकाले गए टेंडर में यूपी को शामिल ही नहीं किया है। इससे यूपी की शुगर इंडस्ट्री सकते में है और भविष्य पर संकट बताते हुए भारत सरकार को पत्र भेजा है।

भारत पेट्रोलियम ने 27 अगस्त को एक टेंडर जारी किया हैं जिसमें विभिन्न राज्यों से एथनॉल की खरीद के लिए निविदाएं मांगी गई हैं। इसमें यूपी को छोड़कर सभी राज्यों को शामिल किया गया है। तमिलनाडु से सबसे ज्यादा 97 करोड़ और मिजोरम-सिक्किम से सबसे कम एक-एक करोड़ लीटर एथनॉल की खरीद इसमें शामिल की गई है।

सरकार की नीति के मुताबिक ऑयल कंपनियां उन राज्यों से एथनॉल लेने की तैयारी कर ही हैं जहां अनाज से इसका उत्पादन किया जाता है। यूपी में इसका उत्पादन गन्ने से होने के कारण इसे टेंडर में शामिल नहीं किया गया है। हालांकि ऐसे कई राज्यों को शामिल किया गया है जहां शीरे से एथनॉल बनता है पर उनके लिए एथनॉल की मात्रा काफी कम तय की गई है। जैसे महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य से मात्र दो करोड़ लीटर की खरीद की बात रखी गई। 

एथनॉल उत्पादन से प्रदेश की शुगर इंडस्ट्री को काफी लाभ है। प्रतिवर्ष लगभग पांच हजार करोड़ रुपये का एथनॉल इस इंडस्ट्री के जरिए बनाया जा रहा था। इस लाभ से गन्ना किसानों के भुगतान में आसानी होती है। ऐसे में यदि एथनॉल की बिक्री प्रभावित हुई तो इसका असर किसानों पर भी पड़ेगा। 

इस बाबत हमारी बात चल रही है। ये टेंडर उन क्षेत्रों के लिए निकाले गए हैं जहां एथनॉल का उत्पादन कम है और इसे बढ़ावा देना है। हमारा टेंडर बाद में जारी हो जाएगा। इसका पूरा प्रयास किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश शुगर मिल एसोसिएशन के महासचिव दीपक गुप्ता के मुताबिक प्रदेश में 43 इकाइयां शीरे से एथनॉल बनाती हैं। सरकार ने नई प्रोत्साहन नीति लागू की तो 17 नए प्रोजेक्टों पर और काम हो रहा है तथा सात हजार करोड़ रुपये इन्वेस्ट किया जा रहा है। अब यह इन्वेस्टमेंट फंस जाएगा। बैंक भी फंडिंग रोक देंगे। उन्होंने कहा कि यह यूपी के लिए बड़ा झटका है। बताया कि उप्र. शुगर मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सीबी पटौदिया ने इस बाबत खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय भारत सरकार के ज्वाइंट सेक्रेटरी (शुगर) को पत्र भेजा है और इस सारी स्थिति से अवगत कराते हुए इस टेंडर में यूपी को भी शामिल करने की मांग की है। साथ ही इस बाबत यूपी सरकार से भी बात की जा रही है।

शुगर इंडस्ट्री को पहले बिजली उत्पादन से झटका लग चुका है। एसोसिएशन के महासचिव के मुताबिक शुगर इंडस्ट्री ने सरकारी प्रोत्साहन पर 1500 मेगावाट का को-जेनरेशन प्लांट लगाया गया था। पहले उसका टैरिफ 5 रुपये यूनिट था जो घटाकर दो रुपये अस्सी पैसे कर दिया गया। इसी से इंडस्ट्री को एक हजार करोड़ रुपये की मार पड़ी। 

ऑयल कंपनियों ने निविदा के लिए एथनॉल खरीद के लिए जो वरीयता सूची बनाई है उसके लिए अंक देने का प्रावधान रखा गया है। 50 अंक इसके लिए पूर्णांक है। इसमें मक्का आदि से एथनॉल बनाने वाली इकाइयों को बीस अंक, मक्का और चावल के कॉम्बिनेशन को 15, केवल चावल को दस तथा इसके अलावा अन्य जैसे शीरा आदि से एथनॉल बनाने वाली इकाइयों को केवल पांच अंक दिए जाएंगे। अब यूपी पूरी तरह से शुगर एवं अन्य में शामिल है। ऐसे में यहां की इकाइयों को पांच अंक ही मिलेंगे और वह टेंडर की प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकेगा।