उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरियों में संविदा के प्रस्ताव पर योगी सरकार को विपक्ष ने घेरा, खोला मोर्चा

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उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरी की शुरुआत में पांच वर्ष की संविदा के सरकार के प्रस्ताव ने सूबे की सियासत में हलचल मचा दी है। यूं भी बेरोजगार के विषय को लगातार उठा रहे विपक्ष ने इस मुद्दे को हाथों-हाथ लपका है।

प्रदेश सरकार के इस प्रस्ताव को युवा विरोधी करार देते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 2022 में सबक सिखाने की चेतावनी दे डाली है तो कांग्रेस महासचिव व उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका वाड्रा ने दो टूक कहा है कि युवाओं का आत्मसम्मान नहीं छीनने देंगे। हालांकि राज्य के मुख्य सचिव आरके तिवारी ने स्पष्ट किया है कि सरकार के स्तर पर सतत सुधारात्मक विचार चलते रहते हैं। सरकारी नौकरी में संविदा को लेकर भी अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। जब भी निर्णय किया जाएगा, वह जनहित, युवाओं का हित और प्रदेश का हित देखते हुए किया जाएगा।

यूपी सरकार के प्रस्ताव पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा केवल अपने राजनीतिक विस्तार और सत्ता पर एकाधिकार को ही विकास मानती है। यही कारण है कि प्रदेश में विकास कार्य अवरुद्ध हैं और युवाओं के प्रति तो उसका रवैया शुरू से ही संवेदनाशून्य रहा है। बयान जारी कर उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की गलत नीतियों के चलते प्रदेश पिछड़ता ही जा रहा है। परेशान हाल नौजवान आत्महत्या कर रहे हैं। समूह ख व ग की भर्ती प्रक्रिया में बदलाव किया जा रहा है, जिससे सरकारी नौकरियों में भी ठेका प्रथा लागू हो जाएगी।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि परीक्षा से आए समूह ख व ग के कर्मचारियों को पहले पांच वर्ष तक संविदा पर रखा जाएगा। पांच वर्ष की कठिन संविदा प्रक्रिया में छंटनी से जब बच पाएंगे, तभी पक्की नौकरी मिल पाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार का इरादा है कि भविष्य में सुरक्षित नौकरी किसी को न मिले। कर्मचारी को संविदा काल में पहले सहायक पदनाम से नियुक्ति मिलेगी। दक्षता परीक्षा में 60 फीसद से कम अंक आने पर सेवा समाप्त हो जाएगी। इस तरह संविदा काल का कर्मचारी पूरी तरह बंधुआ बनकर रहेगा।

प्रियंका बोलीं, नहीं छीनने देंगे युवाओं का आत्मसम्मान

कांग्रेस महासचिव प्रियंका ने ट्वीट किया कि युवा नौकरी की मांग करते हैं और यूपी सरकार भर्तियों को पांच साल के लिए संविदा पर रखने का प्रस्ताव ला देती है। ये जले पर नमक छिड़ककर युवाओं को चुनौती दी जा रही है। गुजरात में यही फिक्स पे सिस्टम है। वर्षों सैलरी नहीं बढ़ती, परमानेंट नहीं करते। युवाओं का आत्मसम्मान नहीं छीनने देंगे। वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने बयान जारी कर कहा कि देश और प्रदेश में भयंकर रूप से बढ़ती बेरोजगारी और लगातार गिरती अर्थव्यवस्था से युवाओं का भविष्य खतरे में है। ऐसे समय में प्रदेश की योगी सरकार का नई नियुक्तियों को पहले पांच वर्ष संविदा पर रखे जाने का प्रस्ताव लाया जाना छात्र-छात्राओं और युवाओं के साथ ऐतिहासिक अन्याय जैसा कृत्य है।

पांच साल संविदा, फिर पक्की होगी सरकारी नौकरी

राज्य सरकार सभी सरकारी विभागों में समूह ‘ख’ और ‘ग’ के पदों की भर्ती प्रक्रिया में व्यापक बदलाव करते हुए चयन के बाद पहले पांच वर्षों के दौरान कर्मचारियों को संविदा के आधार पर नियुक्त करने पर विचार कर रही है। पांच वर्ष की संविदा की अवधि के दौरान ऐसे कार्मिकों को समूह ‘ख’ और ‘ग’ के संबंधित पद का राज्य सरकार की ओर से निर्धारित नियत वेतन दिया जाएगा। इस अवधि में उन्हें नियमित सरकारी कार्मिकों को मिलने वाले सेवा संबंधी लाभ नहीं दिए जाएंगे। सिर्फ सरकारी कार्य के लिए की जाने वाली यात्रा के लिए यात्रा व अन्य संबंधित भत्ते दिए जाएंगे। गौरतलब है कि प्रदेश की सरकारी सेवाओं में समूह ‘ख’ के 58,859 और समूह ‘ग’ के 8,17,613 पद हैं।

प्रदर्शन और दक्षता का प्रत्येक छमाही में नियमित मूल्यांकन

राज्य सरकार के प्रस्ताव के अनुसार, संविदा की अवधि के दौरान चयनित कार्मिक के प्रदर्शन और दक्षता का प्रत्येक छमाही में नियमित मूल्यांकन होगा। मूल्यांकन में प्रतिवर्ष 60 फीसद से कम अंक पाने वाले कार्मिक सेवा से बाहर कर दिए जाएंगे। पांच साल की सेवा अवधि को शर्तों के अनुसार पूरा करने वालों को ही संबंधित सेवा नियमावली के आधार पर मौलिक नियुक्ति दी जाएगी। प्रस्तावित व्यवस्था को सेवाकाल के दौरान मृत कार्मिकों के आश्रितों की भर्ती नियमावली पर भी लागू करने का इरादा है। पीसीएस, पीसीएस-जे व पीपीएस सेवा के पदों को प्रस्तावित व्यवस्था के दायरे से बाहर रखने की मंशा है। सरकारी नौकरियों में पहले से चल रही चयन प्रक्रिया को भी इसके दायरे में लाने का इरादा है।