अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पुतिन को कहा ‘तानाशाह और ठग’

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USA president Joe Biden

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन यूक्रेन में रूसी हमले से काफी नाराज हो गए हैं। नाराजगी इतनी बढ़ गई कि उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए तल्ख शब्दों का प्रयोग कर दिया। उन्होंने कहा कि रूसी निरंकुश शासक व्लादिमीर पुतिन एक हत्यारा तानाशाह और एक विशुद्ध ठग है। बता दें कि इससे पहले भी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पुतिन को युद्ध अपराधी करार दिया था। जो बाइडन की ताजा टिप्पणी कैपिटल हिल में सेंट पैट्रिक दिवस पर आयोजित वार्षिक फ्रेंड्स ऑफ आयरलैंड लंच में बोलते हुए आई है। बाइडन ने इस दौरान कहा कि पुतिन एक हत्यारा तानाशाह और एक विशुद्ध ठग है जो यूक्रेन के लोगों के खिलाफ अनैतिक युद्ध छेड़ रहा है। वहीं कुछ दिन पहले आयरलैंड के माइकल मार्टिन के साथ एक मीटिंग में बाइडन ने कहा था कि पुतिन की क्रूरता तथा वह और उनकी सेना यूक्रेन में जो कुछ भी कर रही है, वह सब मानवता के खिलाफ है।

जेलेंस्की ने रूसी सैनिकों को किया आगाह, दिलाई 2014 की याद
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने अपने संबोधन को समाप्त करते हुए 2014 के युद्ध की तुलना कर रूसी सैनिकों को आगाह किया। उन्होंने कहा कि यहां आने वाले लोगों ने सोचा था कि वे यूक्रेन जा रहे हैं, जिसे उन्होंने 2014-2015 में पहले देखा था, जिसे उन्होंने भ्रष्ट कर दिया था और जिनसे वे डरते नहीं थे लेकिन अब हम बदल गए हैं। यह बदलाव ही है कि हम बीते 22 दिनों से रूस द्वारा किए जा रहे पूरी तरह से हमले के खिलाफ डटे हुए हैं। यह वह शक्ति है जिसे हमने अपनी रक्षा के लिए कई वर्षों में पूरा किया है। हमारी रणनीति क्या है वह नहीं बता सकते क्योंकि युद्ध अभी जारी है। जेलेंस्की ने यूक्रेन की वार्ता रणनीति को बताने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा हमारा मानना है कि टेलीविजन, रेडियो या फेसबुक के बजाय चुप रहकर काम करना बेहतर है।

पुतिन परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी दे सकते हैं: पेंटागन
अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने कहा है कि व्लादिमीर पुतिन परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी दे सकते हैं, क्योंकि युद्ध अभी जारी है। रक्षा खुफिया एजेंसी के निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल स्कॉट बेरियर ने विश्वव्यापी खतरों को लेकर अपने नए 67 पेज के लेख के सारांश में कहा कि यूक्रेनी क्षेत्र के कुछ हिस्सों पर लंबे समय तक कब्जा करने का खतरा मंडरा रहा है। रूसी सेनाओं की संख्या को कम करने और उनके आधुनिक हथियारों के शस्त्रागार को कम किया जा सकता है, जबकि परिणामी आर्थिक प्रतिबंध से रूस को लंबे समय तक आर्थिक अवसाद और राजनयिक अलगाव सहने होंगे।