UPNews : निकाय चुनाव को लेकर हलचल तेज, जाने क्या है पार्टियों की रणनीति..

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निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही राजनीतिक गलियारों की हलचल भी तेज हो गई है। यूपी में निकाय चुनाव के लिए सभी दलों की जोर आजमाइश शुरू हो चुकी है। यूपी निकाय चुनाव को लेकर भाजपा, सपा, कांग्रेस और बसपा ने अपनी रणनीति तैयार कर ली है।

निकाय चुनाव के लिए भाजपा रणनीति:-

निकाय चुनाव में जीत हांसिल करने के लिए भाजपा ने जिलेवार केंद्रीय और प्रदेश के मंत्रीयों को जिम्मेदारी दी है। मतदाता सम्मेलन के साथ प्रबुद्ध सम्मेलन कर वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रही है। भाजपा ने अपने प्रत्याशियों के चयन के लिए जिले के प्रभारी मंत्री, प्रभारी संगठन के पदाधिकारियों को को लगा रखा है।भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का दावा है कि निकाय चुनाव में सभी 17 मेयर भाजपा के ही होंगे। सपा, बसपा और कांग्रेस इस चुनाव में कहीं भी दिखाई भी नहीं देगी।

निकाय चुनाव के लिए सपा की रणनीति:-

निकाय चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी उम्मीदवार चयन करने में जुटी हुई है। इस बार पार्टी जातीय समीकरण के साथ ही युवाओं का भी पूरा ध्यान रख रही है। मिली जानकारी के मुताबिक, इस बार सपा युवाओं को ज्यादा मौका देगी। नगर पालिका परिषद अध्यक्ष एवं नगर पंचायत अध्यक्ष के लिए जिले स्तर पर प्रभारी बनाए गए हैं। अखिलेश ने सपा के राष्ट्रीय और प्रदेश के पदाधिकारियों की जिम्मेदारी जिलेवार तय की है। वह लगातार जिताऊ उम्मीदवार और अच्छे कैंडिडेट को लेकर समीक्षा कर रहे हैं। जबकि महिलाओं के लिए आरक्षित सीट पर उन महिलाओं को तवज्जो दी जाएगी, जो सियासी रूप से सक्रिय हैं।

निकाय चुनाव के लिए बसपा की रणनीति:-

इस बार के निकाय चुनाव में बसपा पूरे जोश के साथ वापसी कर रही है। जिसके तहत 2 अप्रैल को बसपा सुप्रीमों मायावती ने लखनऊ में बैठक की। इस बैठक में मायावती ने पार्टी के सभी पदाधिकारीयों से निकाय चुनाव में मजबूती से लड़ने की बात कहते हुए चुनाव के लिए कई टिप्स दी। बसपा नेताओं का कहना है की, पार्टी मजबूती से निकाय चुनाव लड़ेगी। समाजवादी पार्टी हमें भाजपा की बी टीम कहती है। अब अखिलेश यादव चाहे कुछ भी कर लें जीत नहीं पाएंगे। वो अंबेडकर जयंती और काशीराम के कार्यक्रमों में शामिल होकर दलित समाज को बरगला नहीं सकते हैं।

निकाय चुनाव के लिए कांग्रेस की रणनीति:-

इस यूपी निकाय चुनाव को जीतने के लिए कांग्रेस इमोशनल गेम खेलने की कोशिश कर रही है। लोकसभा की सदस्यता गंवाने के बाद राहुल गांधी को लेकर कांग्रेस लोगों की सहानुभूति बटोरने में लगी हुई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने बीते 1 महीने में करीब 9 प्रेस कॉन्फ्रेंस और जिलेवार जन सत्याग्रह आंदोलन कर लोगों को अपनी ओर मोड़ने की कोशिश की। फिलहाल, कांग्रेस मुस्लिम, ओबीसी और दलित कार्ड के साथ निकाय चुनाव में खुद को मजबूत साबित करने पर फोकस कर रही है। कांग्रेस ने यूपी में अकेले ही निकाय चुनाव लड़ने का ऐलान भी किया है।