ट्विटर ने दिया कांग्रेस नेता राहुल गाँधी के आरोपों का जवाब, कहा-‘हेरफेर और स्पैम के प्रति जीरो-टॉलरेंस की नीति है हमारी’

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twitter respond to rahul gandhi's letter
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर केंद्र सरकार के दबाव में आकर उनके फॉलोवर्स की संख्या को सीमित कर रही है. इसके लिए राहुल ने बकायदा ट्विटर के सीईओ पराग अग्रवाल को चिट्ठी लिखकर मामले से अवगत कराया है. वहीं, कांग्रेस नेता के आरोपों पर ट्विटर का जबाव भी सामने आ गया है. इस चिट्ठी में राहुल ने कहा कि ट्विटर मोदी सरकार के दबाव में आकर मेरी आवाज को चुप कराने की कोशिश कर रहा है. वहीं, कांग्रेस नेता के आरोपों पर ट्विटर का जबाव भी सामने आ गया है.

ट्विटर ने कहा, ‘फॉलोवर्स की संख्या एक विजिबल फीचर है और हम चाहते हैं कि सभी लोग इस बात पर विश्वास रखें कि फॉलोवर्स की संख्या सार्थक और सटीक होती है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हेरफेर और स्पैम को लेकर ट्विटर की जीरो-टोलरेंस अप्रोच रही है.’ इसने अपने बयान में कहा, ‘हम मशीन लर्निंग टूल्स के जरिए रणनीतिक रूप से और बड़े पैमाने पर स्पैम और दुर्भावनापूर्ण चीजों से लड़ते हैं. एक हेल्दी प्लेटफॉर्म और विश्वसनीय अकाउंट्स को सुनिश्चित करने के लिए लगातार चल रहे प्रयासों के हिस्से के रूप में फॉलोवर्स की संख्या में उतार-चढ़ाव हो सकता है.’

सोशल मीडिया कंपनी ने अपने बयान में आगे कहा, ‘प्लेटफॉर्म हेरफेर और स्पैम पर हमारी नीतियों का उल्लंघन करने के लिए हम हर हफ्ते लाखों ट्विटर अकाउंट्स को हटाते हैं. आप अधिक जानकारी के लिए लेटेस्ट ट्विटर ट्रांसपेरेंसी सेंटर अपडेट पर एक नजर डाल सकते हैं. हालांकि, कुछ अकाउंट्स में मामूली अंतर दिखाई देता है. लेकिन कुछ अकाउंट्स में ये संख्या अधिक हो सकती है.’ गौरतलब है कि हाल के दिनों में ट्विटर ने अपने नियमों को कड़ा किया है. इसका असर भी देखने को मिला था, जब कई ट्विटर अकाउंट्स को बंद कर दिया गया था. इसके चलते कई लोगों के फॉलोवर्स की संख्या कम हुई थी.

कांग्रेस नेता ने पराग अग्रवाल को लिखी अपनी चिट्ठी में कहा, ‘मैं आपका ध्यान उस ओर लाना चाहता हूं. जिसे लेकर मुझे लगता है कि वह भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष भाषण पर अंकुश लगाने में ट्विटर की अनजाने में मिलीभगत को दिखाता है. मुझे ट्विटर इंडिया के लोगों द्वारा सूचित किया गया है कि वे सरकार द्वारा मेरी आवाज को चुप कराने के लिए अत्यधिक दबाव में हैं.’ उन्होंने आगे कहा, ‘दुनिया भर में उदार लोकतंत्र और सत्तावाद के बीच वैचारिक लड़ाई को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आकार दिया जा रहा है. यह उन लोगों पर एक बड़ी जिम्मेदारी रखता है जो ट्विटर जैसी कंपनियों के शीर्ष पर हैं.’