जीडीपी में ऑटो क्षेत्र की हिस्सेदारी 12 फीसदी तक बढ़ाने का लक्ष्य, भारत वाहन निर्माण क्षेत्र में सबसे आगे होगा – नितिन गडकरी

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nitin gadkari
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सरकार वाहन उद्योग में तेजी लाने के साथ अर्थव्यवस्था में उसकी हिस्सेदारी बढ़ाने पर भी जोर दे रही है। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को सियाम के कार्यक्रम में कहा कि जीडीपी में ऑटो क्षेत्र की हिस्सेदारी 12 फीसदी तक बढ़ाने का लक्ष्य है, जो अभी 7.1 फीसदी है।

सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के 61वें सालाना सम्मेलन में गडकरी ने ऑटो क्षेत्र के जरिये रोजगार बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में यह क्षेत्र 3.7 करोड़ लोगों को रोजगार देता है, जिसमें 5 करोड़ नए रोजगार पैदा करना हमारा लक्ष्य है। भारतीय अर्थव्यवस्था को 50 खरब डॉलर तक पहुंचाने में वाहन उद्योग की बड़ी भूमिका होगी। वाहन क्षेत्र का सालाना टर्नओवर 7.5 लाख करोड़ का है, जबकि 3.5 लाख करोड़ का निर्यात करता है।

उन्होंने कहा कि सरकार की पहल से आने वाले समय में भारत वाहन निर्माण क्षेत्र में सबसे आगे होगा। खुदरा क्षेत्र में उद्योग ने करीब 2.25 लाख करोड़ निवेश किया है। दुनियाभर की कंपनियां यहां अपनी इकाई लगा रहीं और गाड़ियों का उत्पादन करती हैं। कंपनियों को भी हमारा साथ देना होगा और तकनीक व ई-वाहन क्षेत्र में सतत विकास के लिए आगे होना पड़ेगा।

सियाम के अध्यक्ष केनिची आयुकावा ने कहा कि वाहन उद्योग के सामने इस समय तिहरी चुनौतियां हैं। कोरोना महामारी से पहले ही उद्योग के चारों क्षेत्रों यात्री वाहन, दोपहिया, वाणिज्यिक वाहन और तिपहिया वाहन बिक्री की रफृतार सुस्त रही है। पिछले 5-10 साल वाहन उद्योग के लिए चुनौती भरे रहे। अब वह बीएस-6 के दूसरे चरण, ई-वाहन सहित अन्य ढांचागत बदलावों से गुजर रहा है। साथ ही अंततराष्ट्रीय बाजार में स्टील, प्लास्टिक, निकल जैसे कच्चे माल की लागत में भी लगातार इजाफा हो रहा है। आयुकावा मारुति सुजुकी इंडिया के एमडी-सीईओ भी हैं। उन्होंने कहा कि महामारी के बाद रास्ते और मुश्किल हो गए हैं। अब उद्योग के प्रदर्शन में लोगों का स्वास्थ्य भी जुड़ गया है। इसके अलावा सेमीकंडक्टर व शिपिंग कंटेनर की कमी और आयात प्रतिबंधों का भी असर पड़ रहा है। हमें तत्काल सरकार की मदद की जरूरत है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक पत्र के जरिये सियाम को दिए संदेश में कहा, हम हरित उर्जा इस्तेमाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और सस्ता व स्वच्छ परिवहन ही भारत का भविष्य है। लिहाजा उन्नत तकनीक के साथ भारत में विनिर्माण के लिए दुनियाभर की कंपनियों का स्वागत है। पिछले कुछ वर्षों में वाहन उद्योग ने यातायात सुगम बनाने के साथ बड़ी संख्या में रोजगार और राजस्व भी पैदा किया है। अगले 25 साल भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि वाहन उद्योग की ओर से ई-मोबिलिटी के क्षेत्र में किसी भी बदलाव का स्वागत है। आपका सहयोग मिले तो भारत ई-वाहन क्षेत्र में दुनिया की अगुवाई कर सकता है। हम बैटरी की क्षमता बढ़ाने व लागत घटाने पर काम कर रहे हैं और अगले दो साल में इसका असर दिखेगा। हमारे अंदर दोपहिया, तिपहिया, वाणिज्यिक वाहन और यात्री वाहन श्रेणी में बेहतर करने की क्षमता है। कंपनियों को ई-वाहन बनाने, चार्जिंग स्टेशन लगाने और बैटरी उत्पादन में निवेश बढ़ाना चाहिए। पिछले तीन साल में दोपहिया ई-वाहनों की बिक्री चार गुना बढ़ी है।  

मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आरसी भागर्व ने एक बार फिर जीएसटी का मुद्दा उठाया। कहा कि सिर्फ बातों से कुछ नहीं होगा, क्योंकि भारत में दोपहिया और लग्जरी कारों पर समान जीएसटी वसूला जा रहा। ऐसे तो वाहनों की बिक्री बढ़ती नहीं दिख रही। अमेरिका, यूरोप में वाहनों पर टैक्स की दरें इससे काफी कम हैं। सरकार वाहन उद्योग के समर्थन की बात तो करती है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठा रही। यहां कारों को लग्जरी माना जाता है, जो सिर्फ अमीर इस्तेमाल करते हैं। इस मानसिकता को बदलना होगा। पहले जहां प्रति एक हजार में 20-30 लोगों के पास कार होती थी, अब यह अनुपात 200 पहुंच गया है। हमें वाहनों को किफायती बनाना होगा।

राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कंपनियों से सवाल किया कि जब आमदनी बढ़ रही तो कारों की बिक्री में तेजी क्यों नहीं आई। कहा कि तकनीक में बदलाव और ग्राहकों की सुविधा को जितना आगे ले जाएंगे, वाहनों की बिक्री उतनी ही जोर पकड़ेगी। बजाज ने कहा, बाजार में छोटी गाड़ियां कम बिक रहीं आैर एसयूवी व उन्नत तकनीक वाले वाहनों की मांग ज्यादा है। सियाम को इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए और हमें बदलावों के बारे में बताना चाहिए। भारतीय वाहन उद्योग काफी परिपक्व है और उसे दुनियाभर में अपनी तकनीक ले जानी होगी। 2017-18 से पहले वाहन बिक्री का प्रदर्शन बेहतर था।

वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री 10%, तिपहिया वाहनों की 30% और दोपहिया की 16% दर से बढ़ रही थी। लेकिन, इसके बाद से लगातार गिरावट दिख रही। कंपनियों का तर्क है कि जीएसटी आने के बाद असर दिखा। मैं कहता हूं, जीएसटी से पहले दिल्ली, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों में 28 फीसदी से ज्यादा टैक्स लगता था। असल समस्या टैक्स नहीं, बल्कि तकनीक का अभाव है।