आस्ट्रेलिया के सबसे अधिक घनी आबादी वाले शहर न्यू साउथ वेल्स में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों की वजह से पाबंदियों को बढ़ाना पड़ा है। इसके अलावा देश के कुछ अन्य क्षेत्रों में डेल्टा वैरिएंट के बढ़ते मामले भी सरकार के लिए चिंता की वजह बनते जा रहे हैं। न्यू साउथ वेल्स में ही इसके करीब 150 मामले अब तक सामने आ चुके हैं।
इस वैरिएंट के बढ़ने की आशंका के मद्देनजर यहां पर लॉकडाउन लगाने के लिए सरकार को मजबूर होना पड़ा है। इसके अलावा दूसरे करीब दो शहरों में भी सरकार ने बढ़ते मामलों के मद्देनजर लॉकडाउन लगाया है। आपको बता दें कि जिन जगहों पर लॉकडाउन लगाया गया है कि वहां की आबादी करीब 2 करोड़ है जो आस्ट्रेलिया की कुल आबादी का करीब 80 फीसद है।
पश्चिमी आस्ट्रेलिया की राजधानी पर्थ में चार दिनों का लॉकडाउन लगाया गया है जो मंगलवार से शुरू हो गया है। डार्विन में शुक्रवार तक के लिए लॉकडाउन को बढ़ाया गया है। क्वींसलैंड की राजधानी ब्रिसबेन में भी तीन दिन का लॉकडाउन लगा है। इसके करीबी इलाकों का भी यही हाल है। यहां पर भी मंगलवार से लॉकडाउन की शुरुआत हो गई है। क्वींसलैंड प्रिमीयर ऐनेटेसिया पलासजुक का कहना है कि ये खतरा काफी बड़ा है जिस पर तुरंत फैसला लेना जरूरी है। उनका ये भी कहना है कि इसके लिए तेज और कड़े फैसले लेने होंगे। स्थानीय मीडिया ने दो नए मामलों की जानकारी दी है। करीब ढाई करोड़ की आबादी वाले शहर सिडनी में दो सप्ताह के लिए लॉकडाउन है जिसकी मियाद 9 जुलाई को खत्म होगी।
लॉकडाउन वाली जगहों पर प्रशासन की तरफ से लोगों को मास्क लगाने की सख्त हिदायत दी गई है। इसके अलावा लोगों के किसी समारोह में शामिल होने की सीमा को सीमित कर दिया गया है। न्यू साउथ वेल्स में 19 नए मामले रिपोर्ट किए गए हैं। बढ़ते मामलों को देखते हुए रिकॉर्ड 67 हजार टेस्ट किए गए हैं। किसी और कहीं भी एकत्रित होने से मना किया गया है। देशभर में ही ऑफिसों में काम करने वाले अधिक उम्र और हाई रिस्क वाले लोगों को वैक्सीन लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर व्यक्ति को क्वारंटीन करने को भी कहा गया है।
आपको बता दें कि आस्ट्रेलिया में 60 वर्ष से अधिक की उम्र वाले लोगों पर एस्ट्राजेनेका के इस्तेमाल को लेकर गाइडलाइंस जारी की गई है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि इससे शरीर में ब्लड क्लॉट की बात सामने आई है, जिसने लोगों की चिंता को बढ़ाने का काम किया है। इसी तरह से 60 वर्ष से कम उम्र के लोगों को फाइजर की वैक्सीन लेने को कहा गया है।
सरकार की तरफ से ये भी कहा गया है कि यदि 60 वर्ष से कम उम्र का कोई व्यक्ति एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लेना चाहते है तो उसको पहले इसके लिए डॉक्टर से मंजूरी लेनी होगी। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि ये वैक्सीन कोरोना से सर्वाधिक सुरक्षा प्रदान करती है। प्रशासन का कहना है कि प्रतिबंधों को बढ़ाने और लॉकडाउन लगाने से देश में कोरोना के बढ़ते मामले कम किए जा सकते हैं।