The Big Bull movie review: स्टॉक एक्सचेंज के ‘अमिताभ बच्चन’ की कहानी में छाये अभिषेक बच्चन, क्या वाकई ‘जनता का मसीहा’ है हेमंत शाह?

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डिज़्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हुई अभिषेक बच्चन स्टारर फिल्म ‘द बिग बुल’ के डायरेक्टर कूकी गुलाटी ने फिल्ममेकिंग के दौराम एक अजीबो-गरीब फैसला लिया है… वो है अभिनेक बच्चन द्वारा निभाए गए लुटेरे, जोर-जोर से हंसने वाले स्टॉक ब्रोकर किरदार हेमंत शाह को जनता का मसीहा बनाकर दिखाना। ये फिल्म हर्षद मेहता द्वारा किए गए 1992 के शेयर बाजार घोटाले पर आधारित है। लेकिन यहां पर काफी क्रिएटिव आजादी भी ली गई है। हालांकि, इसकी हंसल मेहता द्वारा निर्देशित चर्चित वेब सीरिज ‘स्कैम 1992’ से तुलना रोकी नहीं जा सकती है।

कहानी
‘द बिग बुल’ में कूकी ने अपने किरदार का नाम बदल कर हेमंत शाह कर दिया है, इस फिल्म की कई ऐसी बातें हैं जिनसे ये मालूम होता है कि कूकी के पास क्रिएटिव आजादी के साथ-साथ कई ब्रैंड्स भी थे, जिसे हंसल मेहता जुटा नहीं सके। हलाांकि, कूकी इसका सही तरीके से फायदा नहीं उठा सके।

हेमंत शाह, अभिषेक बच्चन द्वारा निभाए गए इस किरदार को जनता का मसीहा बना दिया गया। फिल्म की काफी अवधि कूकी ने हेमंत के तौर-तरीकों से ही ऑडिएंस को अवगत कराने में निकाल दी। हेमंत एक गुजराती है जो मुंबई में रहता है लेकिन वो दूर-दूर तक गुजराती नहीं बोल सकता। वो अपनी मां (सुप्रिया पाठक) और भाई (सोहम शाह) के साथ मुंबई के एक चॉल में मिडिल-क्लास लाइफ बिता रहा है लेकिन उसके इरादे आसमान छू लेने के हैं।

हेमंत, अपने भाई के ऊपर चढ़े कर्ज को उतारने और अपनी गर्लफ्रेंड के पिता को इंप्रेस करने के लिए एक तरकीब निकलता है। जिसके तहत नो स्टॉक्स और शेयर्स की दुनिया में कदम रखता है। उसे कई बार चेतावनी और क्रिटिसिज्म भी मिलता है लेकिन हेमंत पर तो जल्द से जल्द अमीर बनने के का सपना हावी है। इंसाइर ट्रेडिंग, दोषपूर्ण बैंकिंग प्रणाली और भ्रष्ट अधिकारियों की मदद से वो टॉप तक पहुंच जाता है लेकिन उतनी ही जल्द वो गिर भी जाता है।

क्या रहा निगेटिव
फिल्म का मूड पूरी तरह तब बदल जाता है जब हेमंत फाइनली अपनी गलतियों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। उसके गुनाह माफ हो जाते हैं और उसके द्वारा की गई बर्बादी नजरअंदाज कर दी जाती है। फिल्म के आखिरी 30 मिनट एक तरह से झेलना मुश्किल हो जाता है… जब क्रिटिक्स भी उसे ‘द वन एंड ओनली बिग बुल’ का दर्जा देते हैं और उसे देश की अर्थ व्यवस्था में उछाल लाने के लिए क्रेडिट दे देते हैं।

इस फिल्म में कहीं पर भी उनका जिक्र नहीं है जो हेमंत की ‘टिप्स’ से बर्बाद हो गए और किस तरह उसने सिर्फ अपनी जेब भरने के लिए पहले से मुश्किल में फंसे देश से पैसे चुराए। हेमंत के इरादे कभी भी राष्ट्र के हित में नहीं थे बल्कि जल्द अमीर बनने, खूबसूरत बीवी पाने, बड़े लोगों में शामिल होनें और महंगी स्कॉच पीने के थे।

परफॉर्मेंस
बात करें परफॉर्मेंस की तो ‘द बिग बुल’ की कास्ट में शानदार एक्टर्स शामिल हैं। लेकिन कूकी कास्ट के साथ पूरी तरह न्याय नहीं कर पाते। हेमंत शाह के किरदार में अभिषेक बच्चन ने काफी कोशिश जरूर की है, वो कुछ जगहों पर शानदार दिखे तो कभी निराश भी कर गए। वीरेन शाह के किरदार में सोहम शाह, मां के किरदार में सुप्रिया पाठक अपनी जगह ठीक लगे हैं। लेकिन निर्देशन में उनके किरदारों में स्कोप ही नहीं मिला। इसके अलावा जर्नलिस्ट के रोल में इलियाना डीक्रूज अपने किरादार में जंची हैं। फिल्म में राम कपूर, सौरभ शुक्ला, समीर सोनी जैसे कलाकार भी हैं लेकिन वो चंद सीन्स में ही दिखे हैं।

निर्देशन
डायरेक्टर कूकी गुलाटी ने ढ़ाई घंटे में हेमंत शाह की लंबी कहानी निपटाने की कोशिश की है। इस वजह से फिल्म के कई सीन्स जल्दी में बनाए गए मालूम होते हैं। फिल्म के अहम सीन्स भी असरदार तरीके से नहीं दिखाए जा पाते हैं। वहीं इंटेंस पॉलिटिकल सीक्वेंस के बीच में रोमांटिक गाना बेहद बेस्वाद मालूम होता है। इसकी स्टारकास्ट दमदार जरूर है लेकिन वो कब फिल्म में आते हैं और कब चले जाते हैं पता नहीं चलता। ये कूकी का असफल निर्देशन ही है कि जो इस फिल्म का कोई भी किरदार ऑडिएंस पर छाप नहीं छोड़ पाता।