स्पेसएक्स ने रचा इतिहास, पहली बार 4 आम नागरिकों को अंतरिक्ष में भेजा, नए युग की हुई शुरुआत

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अंतरिक्ष यात्रा का जुनून रखने वाले अरबपतियों की हालिया पंक्ति में अब एक और मिशन जुड़ गया। भारतीय समयानुसार बृहस्पतिवार तड़के पांच बजकर 33 मिनट पर अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से चार आम लोगों को लेकर स्पेसएक्स का क्रू ड्रैगन कैप्सूल फाल्कन-9 रॉकेट से अंतरिक्ष के लिए रवाना हो गया। यह अंतरिक्ष यान दुनिया में पहली बार सिर्फ आम नागरिकों को लेकर पृथ्वी की कक्षा में लॉन्च हुआ। ऐसा पहली बार है जब एक रॉकेट में मौजूद कोई भी व्यक्ति पेशेवर अंतरिक्ष यात्री नहीं है।

स्पेसएक्स के ‘ड्रैगन कैप्सूल’ में मौजूद दो पुरुष और दो महिलाएं अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से 100 मील (160 किलोमीटर) ऊंचाई वाली एक कक्षा से दुनिया की परिक्रमा करते हुए तीन दिन बिताएंगे। उड़ान का नेतृत्व 38 वर्षीय जारेड इसाकमैन कर रहे हैं। वह शिफ्ट4 पेमेंट्स इंक के कार्यकारी प्रबंधक हैं। उनके अलावा कैंसर से उबरी हेले आर्सीनॉक्स , स्वीपस्टेक विजेता क्रिस सेम्ब्रोस्की और एरिजोना में एक सामुदायिक कॉलेज के शिक्षक सियान प्रॉक्टर इन मिशन में शामिल हैं।

आर्सीनॉक्स अंतरिक्ष में जाने वाली सबसे कम उम्र की अमेरिकी हैं, साथ ही किसी कृत्रिम अंग के साथ अंतरिक्ष में जाने वाली पहली शख्स भी। उनके बाएं पैर में टाइटेनियम रॉड पड़ी है। अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित ‘कैनेडी स्पेस सेंटर’ से भारतीय समयानुसार गुरुवार सुबह चार लोगों को लेकर स्पेसएक्स का ‘क्रू ड्रैगन कैप्सूल’ अंतरिक्ष के लिए रवाना हो गया।

शौकिया अंतरिक्ष यात्री अरबपति जेरेड इसाकमैन के नेतृत्व में लॉन्च
यह शौकिया अंतरिक्ष यात्री अरबपति जेरेड इसाकमैन के नेतृत्व में लॉन्च हुआ है जिन्होंने सीधे रॉकेट कंपनी से क्रू ड्रैगन कैप्सूल को किराए पर लिया है। इसाकमैन ने यह नहीं बताया कि उन्होंने कितनी रकम का भुगतान किया है लेकिन कहा कि इसमें कुल खर्च 20 करोड़ डॉलर से कम आया है।

उनके साथ मेम्फिस निवासी 29 वर्षीय मेडिकल सहायक हेले आर्सेना, एक फीनिक्स की 51 वर्षीय सामुदायिक कॉलेज प्रोफेसर साइन प्रोक्टर और तीसरे वाशिंगटन में रहने वाले डाटा इंजीनियर क्रिस्टोफर सेमब्रोस्की हैं। स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क ने कहा कि जब तक यह यान सुरक्षित है जेरेड जो चाहें कर सकते हैं। उन्होंने फरवरी में इस मिशन की घोषणा की थी। इसाकमैन ने तीन दिनों के लिए उड़ान भरने और जमीन से 360 मील ऊपर जाने का फैसला लिया है।