रूस-यूक्रेन युद्ध का आज 32वां दिन: Russia की नज़रे अब यूक्रेन के पूर्वी हिस्से पर, कई इलाकों पर बमबारी जारी

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    Russia-Ukraine War

    यूक्रेन युद्ध का आज 32वां दिन है. रूसी हमलों से यूक्रेन में तबाही जारी है. हालांकिअभी दोनों में से कोई पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं हुआ है. उधर रूस ने यूक्रेन के कई बड़े शहरों को बर्बाद कर दिया है. फिलहाल यूक्रेन के खारकीव, मारियुपोल इलाके से रूसी हमले की कई तस्वीरें सामने आ रही है. इन इलाकों में अब तक संघर्ष छिड़ा हुआ है.

    यहां चेचेन लड़ाके रूस की सेना के साथ मिल कर जंग लड़ रहे हैं. यूक्रेन के सैनिकों के साथ लगातार जंग जारी है. मारियुपोल उन इलाकों में शामिल है जहां रूस जल्द से जल्द कब्जा करना चाहता है लेकिन यूक्रेन यहां कड़ी टक्कर दे रहा है. यहां चेचेन लड़ाकों ने मारियुपोल की सरकारी इमारत पर कब्जा कर अपना झंडा भी लहरा दिया.

    रूस के निशाने पर अब पूर्वी हिस्से ही नहीं बल्कि यूक्रेन के पश्चिम में मौजूद लवीव भी है. जहां रूस ने मिसाइलों से वार किया जिसके बाद दूर दूर तक धुएं का गुबाऱ छा गया. लवीव शहर में तीन हमले किए गए. शनिवार को धमाके ऐसे वक्त में हुए हैं जब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन पड़ोसी नाटो सहयोगी देश पोलैंड की यात्रा समाप्त कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने पोलैंड के राष्ट्रपति से कहा कि, आपकी आजादी हमारी आजादी है.

    जगह-जगह तबाही के निशान

    मिली जानकारी के अनुमान राजधानी कीव में रूसी हमले कम हो गए हैं. लेकिन जगह-जगह तबाही के निशान नजर आ रहे हैं. शहर के अंदर अब भी कई जगह आग सुलग रही है. वहीं लोग मौका मिलने पर सामान निकाल देश छोड़ते नजर आ रहे हैं.

    अमेरिका ने आकलन किया है कि कीव पर कब्जा ना कर पाने के बाद रूसी सेना ने अपना लक्ष्य बदला है. अब रूसी सेना का लक्ष्य डोनबास पर कब्जे का है. अब डोनबास में विद्रोहियों के साथ मिलकर रूसी सेना यूक्रेन पर पीछे हटने का दवाब बना रही है.

    रूस से एक बार फिर समझौते की बात

    कल ही रूसी सेना ने दावा किया कि वो डोनबास में 54 फीसदी हिस्से पर कब्जा कर चुकी है. जबकि लुहान्सक इलाके में 90 फीसदी से ज्यादा कब्जे का काम पूरा हो चुका है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमर जेलेंस्की ने रूस से एक बार फिर समझौते की बात की. लेकिन यूक्रेन ने साफ कर दिया है कि वो शांति के नाम पर अपना इलाका रूस को नहीं देगा.

    दरअसल 32 दिन से जारी युद्ध के बाद रूस भी दवाब में आ गया है. इस बीच वो यूक्रेन में सरकार बदलने में कामयाब नहीं रहा और ना ही बड़े हिस्से पर कब्जा कर पाया है. इसके पीछे है यूक्रेन को मिलते आधुनिक हथियार और आर्थिक मदद. जिसके बल पर यूक्रेन लगातार रूस को टक्कर दे रहा है जिसकी उम्मीद शायद राष्ट्रपति पुतिन को नहीं थी.