दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि, ‘भारतीय परंपरा में पूर्ण विराम नहीं है। इसे लेफ्ट या राइट कहना आज की भूगोलीय राजनीति के हिसाब से ठीक है। वेस्ट और ईस्ट ही पूरा नहीं है। हमने यह कभी नहीं कहा है कि हम राईटिस्ट हैं। हमारे कई विचार लेफ्ट के विचार की तरह हैं। ईस्ट और वेस्ट का भौगोलिक या राजनीतिक बंटवारा अब धुंधला और मंद पड़ गया है तथा उदारीकरण के बाद निजीकरण और ग्लोबलाइजेशन में घुल गया है।
आरएसएस नेता राम माधव की किताब ‘The Hindutva Paradigm’ के लोकार्पण के मौके पर बोलते हुए दत्तात्रेय होसबोले ने कहा दुनिया लेफ्ट की तरफ चली गई थी या फिर जबरन उसे लेफ्ट की तरफ ढकेला गया था। अब हालात यह है कि दुनिया राइट की तरफ जा रही है और इसलिए यह केंद्र में है। इसलिए हिंदुत्व ना तो लेफ्ट है और ना ही राइट।’
दत्तात्रेय ने उपनिवेशवाद के असर का जिक्र करते हुए कहा कि यह आज भी मौजूद है। यह कितना अप्रासंगिक है यह बताने के लिए उन्होंने हाल ही में सीजेआई की उस टिप्पणी का जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि भारतीय न्यायिक व्यवस्था देश के लिए फिट नहीं बैठती।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने पिछले महीने कहा था, ‘कई बार हमारी न्याय आम नागरिकों के लिए कई बाधाएं लाता है। भारत की जटिलता के साथ कोर्ट के काम करने का ढंग अच्छी तरह से फिट नहीं बैठता। हमारा सिस्टम उपनिवेशवाद से निकला है और हो सकता है कि यह भारतीय आबादी पर फिट नहीं बैठता हो। समय की मांग है कि हमारे कानूनी सिस्टम का भारतीयकरण किया जाए।’
राम माधव ने कहा कि यह एंटी वेस्ट वर्ल्ड व्यू नहीं है। अब समय आ चुका है कि भारत की तरफ से दुनिया को देखा जाए। कोविड के बाद नए सिद्धांत अगले दशक में आकार लेंगे। बदलाव के इस नए समय में हमें अपने बुद्धिमत्ता में बदलाव करने के योग्य होना चाहिए।