रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया खुदरा महंगाई में बढ़ातरी के कारण 1 अक्टूबर 2020 को घोषित होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं करेगा. दरअसल, कोरोना संकट के कारण आपूर्ति में आई रुकावटों के कारण खुदरा महंगाई दर बढ़ गई है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पहले ही कह चुके हैं कि महंगाई को नियंत्रण में लाने के लिए और मौद्रिक कार्रवाई की जा सकती है. शक्तिकांत दास के नेतृत्व वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 29 सितंबर को शुरू होगी. बता दें कि अगस्त में खुदरा महंगाई दर घटकर 6.69 फीसदी रही है, जो जुलाई में 6.73 फीसदी पर थी.
एमपीसी की बैठक के नतीजों की घोषणा 1 अक्टूबर 2020 को की जाएगी. इससे पहले अगस्त 2020 में हुई एमपीसी की बैठक में रिजर्व बैंक ने महंगाई में वृद्धि को रोकने के लिए नीतिगत दरों में बदलाव नहीं किया था. हाल में महंगाई दर 6 फीसदी को पार कर गई थी. तब रिजर्व बैंक ने कहा था कि वैश्विक महामारी की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति कमजोर है. बता दें कि फरवरी 2020 से रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में 1.15 फीसदी की कटौती कर चुका है.
उद्योग संगठन सीआईआई ने कहा कि रिजर्व बैंक को अपने नरम रुख को जारी रखना चाहिए. खुदरा महंगाई में वृद्धि के कारण अभी केंद्रीय बैंक को दरों में कटौती से बचना चाहिए. सीआईआई ने कहा कि रिजर्व बैंक को महंगाई में कमी आने का इंतजार करना चाहिए. उद्योग संगठन एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि कोविड-19 की वजह से अर्थव्यवस्था में गिरावट के मद्देनजर रिजर्व बैंक को अपने नरम रुख को जारी रखना चाहिए. यूनियन बैंक के प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजकिरण राय ने कहा कि रिजर्व बैंक यथास्थिति बरकरार रखेगा.
राजकिरण राय ने कहा कि महंगाई की दर इतनी ऊंची होने से इस बार ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद नहीं है. उन्होंने कहा कि ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश है, लेकिन यह फरवरी 2021 से पहले नहीं होगी. एनरॉक प्रापर्टी कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि इस हफ्ते एमपीसी के सामने ब्याज दरें घटाने या कोई बदलाव नहीं करने की चुनौती होगी. कोविड-19 के कारण अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट आएगी. ऐसे में उम्मीदें लगाई जा रही हैं कि ब्याज दरों में कटौती होगी.