पत्रकार राणा अय्यूब के खिलाफ ईडी की कार्रवाई -मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 1.77 करोड़ रुपये किए जब्त

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Journalist Rana Ayyub
Journalist Rana Ayyub

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पत्रकार राणा अय्यूब के खिलाफ धनशोधन के आरोपों की जांच के तहत उनका धन जब्त किया है. राणा के खिलाफ कोविड-19 राहत कार्यों के नाम पर इकठ्ठा किए गए चंदे की राशि के गबन का आरोप है.राणा अय्यूब स्वतंत्र पत्रकार हैं और कई मीडिया संस्थानों के लिए लिखती हैं. इनमें अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट भी शामिल है जिसके लिए वो स्तंभ लिखती हैं. वो 2002 के गोधरा दंगों पर खुद की हुई जांच और स्टिंग ऑपरेशनों पर आधारित किताब “गुजरात फाइल्स” की लेखिका हैं. उन्हें एनडीए सरकार के मुखर आलोचक के रूप में जाना जाता है. इस आलोचना की वजह से उन्हें कई बार बलात्कार और हत्या की धमकियां मिल चुकी हैं.

मुंबई पुलिस ने 10 फरवरी 2022 को ही भोपाल से एक व्यक्ति को राणा को सोशल मीडिया पर बलात्कार और हत्या की धमकी देने के लिए गिरफ्तार किया. (पढ़ें: भारत में दो साल में 228 पत्रकारों पर 256 हमलेः रिपोर्ट) ईडी के आरोप 25 जनवरी को राणा ने ट्विट्टर पर एक स्क्रीनशॉट साझा करते हुए बताया था उनका नाम उस समय ट्विट्टर पर ट्रेंड कर रहा था और ट्रेंड से जुड़े लगभग 26,000 ट्वीटों में अधिकांश में उन्हें गालियां और बलात्कार और हत्या की धमकियां दी गई थीं. उसके बाद ही उन्होंने एफआईआर दर्ज करवाई थी. ईडी की जांच 2020 में राणा द्वारा मुंबई में किए गए कोविड-19 राहत कार्य से संबंधित है. एजेंसी का आरोप है कि राणा ने चंदा इकठ्ठा करने वाली वेबसाइट केट्टो की मदद से करीब 2.69 करोड़ रुपए का चंदा इकठ्ठा किया लेकिन उसमें से काफी राशि निजी इस्तेमाल के लिए रख ली.

कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स ने की भारतीय पत्रकार की रिहाई की मांग) ईडी का आरोप है कि राणा ने फर्जी बिल दिखा कर इकठ्ठा किए हुए चंदे में से करीब 1.77 करोड़ रुपए अपने निजी बैंक खाते में जमा करा लिए. एजेंसी ने अस्थायी रूप से इस धनराशि को जब्त कर लिया है. यह जांच सितंबर 2021 में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में दर्ज करवाई गई एक एफआईआर पर आधारित है. एफआईआर विकास सांकृत्यायन नाम के एक व्यक्ति ने करवाई थी, जो “हिन्दू आईटी सेल” नाम के एक एनजीओ के संस्थापक हैं. राणा ने अभी तक इस मामले पर कुछ नहीं कहा है.

जान का खतरा उन्होंने 25 जनवरी की घटनाओं पर लिखे अपने एक लेख को ट्वीट करते हुए यह कहा है, “जब सरकार अपनी सारी एजेंसियों को पत्रकारों के पीछे लगा दे और उनकी पत्रकारिता की प्रतिक्रिया में उनकी प्रतिष्ठा को ही निशाना बना दे, तो पत्रकार कैसे खुद को बचाएंगे. सच बोलना जारी रख कर” लेख में राणा ने लिखा है कि पिछले करीब 10 सालों से उन्हें “भारतीय दक्षिणपंथ” से जुड़े लोगों ने ऑनलाइन और ऑफलाइन “भयानक” रूप से प्रताड़ित किया है. उन्होंने लिखा है कि उनके शुभचिंतक अक्सर उन्हें कुछ दिनों के लिए शांत हो जाने की सलाह देते हैं. (पढ़ें: राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर समाचार चैनल ‘मीडिया वन’ हुआ बंद) लेकिन राणा कहती हैं कि उनकी पत्रकारिता और लाखों लोगों का उन पर विश्वास उन्हें शांत होने की इजाजत नहीं देते. उन्होंने पत्रकार गौरी लंकेश के बारे में भी याद दिलाया और लिखा कि 2018 में लंकेश ने उन्हें इन धमकियों पर हंसने की सलाह दी थी और अगले ही दिन लंकेश की उनके घर के बाहर ही गोली मार कर हत्या कर दी गई थी..