दिल्ली-एनसीआर में बारिश ने तोड़े सारे रिकॉर्ड, आईजीआई एयरपोर्ट समेत कई इलाको में भारी जलभराव

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राजधानी दिल्ली में बारिश का सिलसिला शनिवार को भी जारी है। सुबह से ही बादल गरज और बरस रहे हैं जिसके कारण एक तरफ तो लोगो को राहत मिल रही है, वहीं दूसरी ओर दिल्लीवासियों को एक बार फिर जलजमाव और जाम का डर सता रहा है। सुबह से हो रही बारिश के कारण दिल्ली के आरकेपुरम सहित कई इलाकों में सड़कों पर पानी दिखना शुरू हो गया है। बता दें कि यहां दक्षिण-पश्चिम मानसून ने बेशक देरी से दस्तक दी है, लेकिन बीते 11 सालों में इस बार की बारिश ने दिल्ली में 1005.3 मिमी के साथ रिकॉर्ड बना दिया है। वर्ष 2010 के बाद यह पहली बार है जब दिल्ली में मानसून की बारिश ने 1000 मिमी के निशान को पार किया है।

दिल्ली में आज सुबह से इतनी बारिश हो रही है कि इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में भी पानी भर गया। इसे लेकर एयरपोर्ट प्रबंधन ने कहा कि यात्रियों की असुविधा के कारण हमें अफसोस है। अचानक हुई भारी बारिश के कारण थोड़े समय के लिए परिसर में जलभराव हो गया था। हमारी टीम ने तुरंत इसकी जांच की और अब यह समस्या नहीं है।

मौसम विभाग ने दिल्ली में अगले 24 घंटे के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। संभावना जताई गई है कि शाम तक तेज बारिश हो सकती है। अधिकतम पारा 31 व न्यूनतम 24 डिग्री सेल्सियस रह सकता है। सोमवार को तापमान में इजाफा हो सकता है। हिंद महासागर में मौसमी घटनाओं के कारण इन दिनों सितंबर में भी बारिश दर्ज हो रही है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि आमतौर पर सितंबर में बारिश नहीं होती है। इसलिए कई साल में पहली बार सितंबर में मानसून सक्रिय है।

मौसम विभाग के मुताबिक, आम तौर पर सफदरजंग मानक केंद्र पर मानसून में औसतन 648.9 मिमी वर्षा दर्ज की जाती है। एक जून से मानसून की शुरुआत से 10 सितंबर तक 586.4 मिमी बारिश दर्ज हुई है। मौसम विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि दिल्ली में 2010 में मानसून में 1031.5 मिमी बारिश दर्ज की गई थी। तब से यह सबसे अधिक बारिश है। दिल्ली में 2011, 2012, 2013, 2014 और 2015 में क्रमश: 636 मिमी, 544 मिमी, 876 मिमी, 370.8 मिमी और 505.5 मिमी वर्षा दर्ज की गई। वहीं, 2016 में 524.7 मिमी बारिश दर्ज की गई थी, 2017 में 641.3 मिमी, 2018 में 762.6 मिमी, 2019 में 404.3 मिमी और 2020 में 576.5 मिमी बारिश का रिकॉर्ड है।

इस मानसून में इस महीने की शुरुआत में लगातार दो दिनों में 100 मिमी से अधिक बारिश दर्ज की गई। इस कड़ी में एक सितंबर को 112.1 मिमी और दो सितंबर को 117.7 मिमी बारिश हुई है। वहीं, इस महीने अब तक 248.9 मिमी वर्षा हुई है, जो सितंबर के औसत 129.8 मिमी वर्षा से एक बड़े अंतर से अधिक है।

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि बारिश के ऐसे दौर भूजल को रिचार्ज करने में मदद नहीं करते हैं बल्कि निचले इलाकों में बाढ़ का कारण बनते हैं। अगर चार से पांच दिनों में धीरे-धीरे बारिश होती है तो पानी जमीन में रिसता है।