कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने देश में ब्लैक फंगस के मामलों पर केंद्र से सवालों के बाद देश की अर्थव्यवस्था पर सवाल उठाया है। उन्होंने लिखा, प्रधानमंत्री के लिए शर्म की बात है कि देश में न्यूनतम जीडीपी है और अधिकतम बेरोजगारी।
उन्होंने कहा, केंद्र सरकार उपचार मुहैया कराने के बजाय जनता को औपचारिकताओं में क्यों फंसा रही है? राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ब्लैक फंगस के बारे में केंद्र सरकार स्पष्ट करे कि एम्फोटेरिसिन-बी दवाई की कमी के लिए क्या किया जा रहा है? मरीज को यह दवा दिलाने की क्या प्रतिक्रिया है? इलाज देने की बजाय मोदी सरकार जनता को औपचारिकताओं में क्यों फंसा रही है।
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी देश में म्यूकोर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) के मामलों में बढ़ोतरी और जरूरी दवा की कथित कमी को लेकर चिंता जताते हुए कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि इस बीमारी के मरीजों को राहत प्रदान करने के लिए तत्काल जरूरी कदम उठाए जाएं।
टीके को लेकर केंद्र ने जिम्मेदारी से मुंह मोड़ा, ठीकरा राज्य पर फोड़ा: प्रियंका
मोदी सरकार की वैक्सीन वितरण नीति पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने जिम्मेदार कौन अभियान के तहत सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ने अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ा है, ठीकरा राज्यों पर फोड़ा है। उनका कहना है कि इंटरनेट व अन्य दस्तावेजों से वंचित लोगों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। साथ ही वैक्सीन के एक देश तीन तरह के दाम होने का परिणाम है कि हिंदुस्तान की मात्र 3.4 फीसदी आबादी का पूरा टीकाकरण हो पाया है। आगे की योजना भी ढुलमुल है।
प्रियंका गांधी ने सरकार से पूछा, वैक्सीन जब देश के नागरिकों को ही लगनी है, तब दाम में भेदभाव क्यों? एक देश तीन दाम क्यों हैं? भारत की 60 फीसदी आबादी के पास इंटरनेट नहीं हैं। एप आधारित व्यवस्था से कैसे सबको वैक्सीन मिलेगी? केंद्र सरकार की दिशाहीन नीति ने राज्यों को ग्लोबल टेंडर निकालने के लिए मजबूर किया है।
फाइजर और मॉडरना जैसी कंपनियों ने कहा कि वो वैक्सीन में केंद्र से डील करते हैं, राज्यों से नहीं करते हैं। उन्होंने कहा, ये हैरान करता है कि दूसरी लहर के कहर के समय जब मोदी सरकार को वैक्सीन वितरण की व्यवस्था की बागडोर और ज्यादा मजबूती से अपने हाथों में लेनी थी, उस समय सरकार ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए वैक्सीन वितरण का दारोमदार राज्यों पर छोड़ दिया।
सरकार ने अप्रैल तक लगभग 34 करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर ही दिया था। अभी की गति के अनुसार मई में प्रतिदिन औसतन मात्र 19 लाख लोगों को वैक्सीन लग रही है। सरकार ने दिसंबर तक सबको वैक्सीन देने का दावा तो किया है, लेकिन इसके लिए प्रतिदिन 70-80 लाख वैक्सीन लगाने की कोई कार्ययोजना देश के लोगों के सामने नहीं रखी है।