केंद्र सरकार पर सोनिया गांधी का निशाना – आजादी के बाद पहली बार ऐसी अहंकारी सरकार सत्ता में आई

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कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. गौरतलब है कि किसान लगातार प्रदर्शन कर मांग कर रहे हैं कि कृषि कानून रद्द किया जाए. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा देश एक बार फिर चंपारन जैसी त्रासदी झेलने जा रहा है. तब अंग्रेज कंपनी बहादुर था, अब मोदी-मित्र कंपनी बहादुर हैं, लेकिन आंदोलन का हर एक किसान-मजदूर सत्याग्रही है जो अपना अधिकार लेकर ही रहेगा.

अन्नदाताओं की हालत देखकर मेरा मन भी बहुत व्यथित: सोनिया गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि कंपकपाती ठंड और बरसात में दिल्ली की सीमाओं पर अपनी मांगों के समर्थन में 39 दिनों से संघर्ष कर रहे अन्नदाताओं की हालत देखकर देशवासियों सहित मेरा मन भी बहुत व्यथित है. आंदोलन को लेकर सरकार की बेरुखी के चलते अब तक 50 से अधिक किसान जान गंवा चुके हैं.

कुछ ने तो सरकार की उपेक्षा के चलते आत्महत्या जैसा कदम भी उठा लिया पर बेरहम मोदी सरकार का न तो दिल पसीजा और न ही आज तक प्रधानमंत्री या किसी भी मंत्री के मुंह से सांत्वना का एक शब्द निकला. मैं सभी दिवंगत किसान भाईयों के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रभु से उनके परिजनों को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करती हूं.

देश के इतिहास की यह पहली ऐसी अहंकारी सरकार सत्ता में आई: सोनिया
आजादी के बाद देश के इतिहास की यह पहली ऐसी अहंकारी सरकार सत्ता में आई है. जिसे आम जनता तो दूर, देश का पेट भरने वाले अन्नदाताओं की पीड़ा और संघर्ष भी दिखाई नहीं दे रहा. लगता है कि मुट्ठी भर उद्योगपति और उनका मुनाफा सुनिश्चित करना ही इस सरकार का मुख्य एजेंडा बनकर रह गया है. लोकतंत्र में जनभावनाओं की उपेक्षा करने वाली सरकारें और उनके नेता लंबे समय तक शासन नहीं कर सकते. अब यह बिल्कुल साफ है कि मौजूदा केंद्र सरकार की ‘थकाओ और भगाओ की नीति के सामने आंदोलनकारी धरती पुत्र किसान-मजदूर घुटने टेकने वाले नहीं हैं.

अब भी समय है कि मोदी सरकार सत्ता के अहंकार को छोड़कर तत्काल बिना शर्त तीनों काले क़ानून वापस ले और ठंड एवं बरसात में दम तोड़ रहे किसानों का आंदोलन समाप्त कराए. यही राजधर्म है और दिवंगत किसानों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि भी. मोदी सरकार को यह याद रखना चाहिए कि लोकतंत्र का अर्थ ही जनता एवं किसान-मज़दूर हितों की रक्षा करना है.