प्रियंका गांधी का हमला, बोलीं- ‘पीएम के लिए देशवासी नहीं, प्रचार और राजनीति है प्राथमिकता’

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Priyanka Gandhi

कोरोना महामारी की दूसरी लहर से उत्पन्न हालात को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री के लिए भारतीय नागरिक प्राथमिकता नहीं बल्कि राजनीति है। उन्हें सच्चाई की नहीं सिर्फ अपने प्रोपेगंडा की चिंता रहती है।

केंद्र सरकार से सवाल पूछने की श्रृंखला ‘जिम्मेदार कौन’ के तहत कांग्रेस नेता ने दावा किया कि पूरी दुनिया ने इस महामारी में देख लिया कि प्रधानमंत्री शासन करने में सक्षम नहीं हैं। प्रधानमंत्री ने महामारी के दौरान अपने कदम पीछे खींच लिए और संकट के गुजरने का इंतजार किया।

आगे कहा भारत के प्रधानमंत्री ने कायरों की तरह व्यवहार किया और उन्होंने देश को नीचा दिखाया। फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए बयान में उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री की अपार क्षमता को लेकर जो झूठ फैलाया गया, वह बेनकाब हो गया।

विशेषज्ञों की चेतावनी पर ध्यान देते तो हालात न बिगड़ते
उन्होंने आरोप लगाया कि पीएम के लिए भारतीय प्राथमिकता नहीं है। उनके लिए पहले राजनीति है। उन्हें सच से कोई लेनादेना नहीं है, वह सिर्फ अपने प्रचार की चिंता करते हैं। यदि प्रधानमंत्री ने वक्त रहते विशेषज्ञों की चेतावनी पर ध्यान दिया होता या स्वास्थ्य संबंधी संसदीय समिति की सिफारिशों पर कदम उठाए होते तो देश में बेड, ऑक्सीजन और दवाओं की कमी नहीं पड़ती। भारतीय नागरिकों के जीवन को प्राथमिकता नहीं देते हुए जीवन रक्षक दवाओं की करोड़ों खुराक निर्यात कर दी गई। उन्होंने जोर देकर कहा कि समय आ गया है कि लोग प्रधानमंत्री से पूछें कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है।

जिम्मेदारी से भाग रही सरकार
प्रियंका ने कहा कि सुशासन का मतलब होता है संकट में सच्चाई का सामना करना, जिम्मेदारी लेना और कार्रवाई करना। दुर्भाग्य से मोदी सरकार ने इनमें से कुछ भी नहीं किया। इसकी जगह, महामारी की शुरुआत से ही इस सरकार ने सच्चाई छिपाने और जिम्मेदारी से भागने की कोशिश की।

परिणामस्वरूप, कोरोना की दूसरी भीषण लहर से जब सभी परेशान थे तो सरकार निष्क्रियता की स्थिति में आ गई। इस निष्क्रियता ने महामारी को अत्यधिक तीव्रता से फैलाया और अनकहे कष्ट सहने की वजह बनी। उन्होंने उन कदमों की सूची भी जारी की जिन्हें पीएम को कोविड-19 के चलते उठाए जाने चाहिए थे।

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की पंक्तियां मदद से किया हमला
उन्होंने कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के उपन्यास कुल्ली भाट की पंक्तियों के जरिए करीब 100 साल पहले आई स्पेनिश फ्लू महामारी की भयावहता को बयां किया। इसमें उन्होंने गंगा नदी के पानी में शव उतरानेे और श्मशान घाटों में शवों को जलाने के लिए लकड़ियां कम पड़नेेेेेेेेे की बात कही।

उन्होंने कहा कि आखिर क्या वजह है कि इस महामारी के समय हमें वही अनुभव करना पड़ा जो पिछली सदी में स्पेनिश फ्लू महामारी के दौरान देशवासियों ने किया था? सरकार द्वारा भगवान भरोसे छोड़े दिए गए भारतवासी आखिर क्यों मदद की गुहार लगाते हुए अपनी जान बचाने के लिए दौड़ रहे थे? गंगा नदी में दिनों-दिन तक उतराते शवों का जो मंजर देख पूरा विश्व व्याकुल था, वह क्यों हुआ?