राष्ट्रपति कोविंद बोले – कोरोना वायरस के खिलाफ अभी खत्म नहीं हुई लड़ाई, सतर्कता और सावधानी जरूरी

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    राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि कोरोना वायरस जैसी महामारी ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के महत्व को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि दूरदराज के क्षेत्रों और कम सुविधा सम्पन्न लोगों तक चिकित्सा और स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाना होगा. कोरोना काल के दौरान चिकित्सकों, नर्सों, स्वास्थ्यकर्मियों के कार्यों की सराहना करते हुए कोविंद ने कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. मास्क, सामाजिक दूरी सहित सतर्कता और सावधानी ही कोरोना वायरस से बचाव के उपाय हैं.

    संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के 26वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को यह कहा. उत्तर प्रदेश राज्य की राज्यपाल और संस्थान की कुलाध्यक्ष आनंदीबेन पटेल ने समारोह की अध्यक्षता की. राष्ट्रपति ने कहा कि कोरोना वायरस की विभीषिका के विरुद्ध इस संस्थान (एसजीपीजीआई) ने युद्धस्तर पर कार्य करते हुए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया.

    सराहनीय स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाएं

    उन्होंने राज्य सरकार के सहयोग से नमूनों के परीक्षण और 20 लाख आरटीपीसीआर जांच के लिए संस्थान की सराहना करते हुए कहा कि संस्थान से जुड़े चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ आदि ने कोरोना की चुनौतियों का सामना किया. इन सभी ने अपने जीवन को खतरे में डालते हुए कोरोना पीड़ितों का उपचार किया. इसके लिए समाज और राष्ट्र कृतज्ञ हैं. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में उत्कृष्ट और सराहनीय स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाएं प्रदान कीं.

    कोविंद ने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. मास्क, सामाजिक दूरी सहित सतर्कता और सावधानी ही कोरोना वायरस से बचाव है. टीका भी कोरोना वायरस से बचाव में सहायक है. आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना के तहत भारत ने ‘मेड इन इंडिया’ टीका विकसित किया. उन्होंने कहा कि आज भारत में व्यापक पैमाने पर टीकाकरण अभियान संचालित है. इसके लिए उन्होंने इस कार्य से जुड़े सभी कर्मियों की सराहना की.

    कौशल का उपयोग

    राष्ट्रपति ने कहा कि उपाधि प्राप्त नवचिकित्सक पूरी संवेदनशीलता के साथ मानवता की सेवा में ज्ञान और कौशल का उपयोग करें. चिकित्सा महान और पवित्र सेवा का क्षेत्र है. उन्होंने चिकित्सकों से बिना किसी भेदभाव के सेवा कार्य के लिए अपना बहुमूल्य योगदान देने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से जीवनशैली से संबंधित रोगों को नियंत्रित किया जा सकता है. रोगों के उपचार और निदान में आयुर्वेद और योग सहायक हैं. इन्हें जीवन पद्धति के रूप में अपनाकर आरोग्यता पाई जा सकती है. इनके माध्यम से प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है, जिसका उदाहरण हमें कोरोना कालखंड में दिखाई दिया.