पंजाब के पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल को श्रद्धांजलि देने पीएम मोदी दोपहर 12 बजे चंडीगढ़ पहुंचेंगे..

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शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल को अंतिम श्रद्धांजलि देने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दोपहर 12 बजे चंडीगढ़ पहुंचेंगे. प्रकाश सिंह बादल का पार्थिव शरीर चंडीगढ़ सेक्टर 28 स्थित शिरोमणि अकाली दल के मुख्यालय में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का कल शाम 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उन्हें 21 अप्रैल की सुबह तबीयत बिगड़ने के बाद मोहाली के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली. केंद्र सरकार ने उनके निधन पर दो दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है, वहीं पंजाब में एक दिन का राजकीय शोक है. एसएसपी चंडीगढ़ ने बताया कि लॉ एंड ऑर्डर के साथ-साथ सिक्योरिटी के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, क्योंकि वीआईपी मूवमेंट है.

भारतीय राजनीति की एक महान हस्ती थे – पीएम मोदी

इससे पहले पीएम मोदी ने ट्वीट में लिखा, ‘प्रकाश सिंह बादल जी के निधन के बारे में जानकर मुझे अत्यंत दु:ख हुआ. वह भारतीय राजनीति की एक महान हस्ती थे, और एक उल्लेखनीय राजनेता थे, जिन्होंने हमारे देश के लिए बहुत योगदान दिया. उन्होंने पंजाब की प्रगति के लिए अथक परिश्रम किया और कठिन समय में राज्य को सहारा दिया. प्रकाश सिंह बादल का जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है. मैंने उनके साथ कई दशकों तक निकट संबंध साझा किए और उनसे बहुत कुछ सीखा है. मुझे हमारी कई बातचीत याद आती हैं, जिसमें उनकी बुद्धिमत्ता हमेशा स्पष्ट रूप से दिखाई देती थी. उनके परिवार और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति संवेदना.’

दोपहर 12 बजे चंडीगढ़ से उनके पार्थिव शरीर को सीधा बादल गांव ले जाया जाएगा और दोपहर 1 बजे यहीं उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का बहुत सम्मान करते थे. साल 2019 में उन्होंने वाराणसी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से जब अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था, तो उन्होंने शिअद संरक्षक के पैर छूकर आशीर्वाद लिया था. पीएम मोदी ने साल 2015 में दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में प्रकाश सिंह बादल को भारत का नेल्‍सन मंडेला बताया था. उन्होंने कहा था, ‘बादल वह महान नेता हैं जिन्हें आजाद हिंदुस्तान में संघर्ष करते हुए भिन्न कारणों से करीब 2 दशक जेल में रहना पड़ा.’