मन की बात में पीएम मोदी बोले- ‘मैं और मेरी मां ने वैक्सीन की दोनों डोज लगवा लीं, आप भी लगवाएं’

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    PM Modi vaccination

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के जरिए देश को संबोधित कर रहे हैं। यह पीएम मोदी के इस कार्यक्रम का का 78वां संबोधन है। इस दौरान पीएम मोदी ने महान एथलीट दिवंगत मिल्खा सिंह को याद करते हुए उनके साथ बिताए अपने समय को याद किया। इस दौरान वह देश में बढ़ते कोरोना के मामले और तेजी से चल रहे टीकाकरण को लेकर चर्चा कर सकते हैं। इस कार्यक्रम के जरिए प्रधानमंत्री देश-विदेश के लोगों के साथ अपने विचार साझा करते हैं।

    मन की बात कार्यक्रम को सीधे प्रसारण के माध्यम से आकाशवाणी, दूरदर्शन समाचार, प्रधानमंत्री कार्यालय और सूचना तथा प्रसारण मंत्रालय के यू-ट्यूब चैनलों पर भी देखा और सुना जा सकेगा। हिंदी प्रसारण के तुरंत बाद आकाशवाणी से इसे क्षेत्रीय भाषाओं में प्रसारित किया जाएगा। इस कार्यक्रम को क्षेत्रीय भाषाओं में रात आठ बजे फिर से सुना जा सकता है।

    पिछली बार पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम को 30 मई को संबोधित किया था। उस वक्त प्रधानमंत्री ने कोरोना की दूसरी लहर से जीत का रास्ता बताया था। उन्होंने कहा था कि इस बार भी वायरस के खिलाफ चल रही लड़ाई में भारत विजयी होगा। मोदी ने कहा था कि हमने पहली वेव में भी पूरे हौंसले के साथ लड़ाई लड़ी थी, इस बार भी वायरस के खिलाफ चल रही लड़ाई में भारत विजयी होगा। दो गज दूरी, मास्क से जुड़े नियम हों या फिर वैक्सीन, हमें ढिलाई नहीं करनी है। यही हमारी जीत का रास्ता है।

    प्रधानमंत्री ने बताया कि उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के सच्चिदानंद भारती जी एक शिक्षक हैं और उन्होंने अपने कार्यों से भी लोगों को बहुत अच्छी शिक्षा दी है। आज उनकी मेहनत से ही पौड़ी गढ़वाल के उफरैंखाल क्षेत्र में पानी का बड़ा संकट समाप्त हो गया है। जहां लोग पानी के लिए तरसते थे, वहां आज साल-भर जल की आपूर्ति हो रही है।

    पीएम मोदी ने कहा कि आप ये जानकर हैरान रह जायेंगे कि भारती जी ऐसी 30 हजार से अधिक जल-तलैया बनवा चुके हैं। उनका ये भागीरथ कार्य आज भी जारी है और अनेक लोगों को प्रेरणा दे रहे हैं। उन्होंने लगातार छोटे-बड़े तालाब बनवाये। इससे न सिर्फ उफरैंखाल की पहाड़ी हरी-भरी हुई, बल्कि लोगों की पेयजल की दिक्कत भी दूर हो गई। साथियों, पहाड़ों में जल संरक्षण का एक पारंपरिक तरीक़ा रहा है जिसे ‘चालखाल’ भी कहा जाता है , यानि पानी जमा करने के लिए बड़ा सा गड्ढा खोदना।

    प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण पर बात करते हुए कहा कि- बादल जब बरसते हैं तो केवल हमारे लिए ही नहीं बरसते, बल्कि बादल आने वाली पीढ़ियों के लिए भी बरसते हैं। बारिश का पानी जमीन में जाकर इकठ्ठा भी होता है, जमीन के जलस्तर को भी सुधारता है। और इसलिए मैं जल संरक्षण को देश सेवा का ही एक रूप मानता हूँ।