केंद्र पर बरसे चिदंबरम, कहा- जम्मू-कश्मीर को पहले मिले राज्य का दर्जा फिर हो चुनाव

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि यह अजीबोगरीब बात है कि केंद्र सरकार पहले जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराना चाहती है और बाद में उसे राज्य का दर्जा देना चाहती है। जबकि कांग्रेस और जम्मू- कश्मीर के राजनीतिक दल वहां पहले राज्य का दर्जा और फिर चुनाव चाहते हैं।

पूर्व गृहमंत्री चिदंबरम ने ट्वीट में कहा कि कांग्रेस और जम्मू-कश्मीर के अन्य दल और नेता पहले पूर्ण राज्य का दर्जा चाहते हैं और बाद में चुनाव चाहते हैं। चिदंबरम ने कहा कि घोड़ा गाड़ी को खींचता है।

आगे कहा कि पिछले लगभग दो साल में पहली बार बृहस्पतिवार को जम्मू कश्मीर के सियासी दलों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र शासित प्रदेश के भविष्य को लेकर बैठक की। इस बैठक में 14 नेता शामिल थे।

प्रधानमंत्री ने बैठक में कहा कि केंद्र की प्राथमिकता यहां लोकतंत्र को मजबूत करना है। इसके लिए पहले परिसीमन का काम किया जाएगा ताकि जल्दी चुनाव कराए जा सकें। बैठक में मौजूद गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि संसद में किए गए वादे के अनुसार राज्य का दर्जा देने के पहले परिसीमन और शांतिपूर्ण चुनाव दो अहम पड़ाव हैं।  

पीएम की जम्मू-कश्मीर के नेताओं संग बैठक ‘सकारात्मक कदम’ चुनाव से पहले पूर्ण राज्य का दर्जा हो बहाल : कर्ण सिंह
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल कर्ण सिंह ने प्रदेश के शीर्ष नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक को ‘बहुत ही सकारात्मक कदम’ करार दिया।

उन्होंने शुक्रवार को कहा कि विधानसभा चुनाव कराए जाने से पहले जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे कदमों से वहां के लोगों के जख्मों पर मरहम लगाने में मदद मिलेगी।

1947 में भारत के साथ कश्मीर के विलय की शर्तों पर हस्ताक्षर करने वाले महाराजा हरि सिंह के पुत्र कर्ण सिंह ने कहा कि उनका निजी मत है कि अनुच्छेद-370 के तहत विशेष दर्जा को खत्म करने की व्यवस्था में बदलाव होना मुश्किल है।

उन्होंने कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने है और उसे ही इस पर फैसला करना चाहिए। जम्मू-कश्मीर के सद्र-ए-रियासत और पहले राज्यपाल ने मांग की कि 5 अगस्त 2019 को लिए गए फैसले से जिन लोगों की आजीविका प्रभावित हुई, उनके लिए केंद्र सरकार को आर्थिक-कम-विकास पैकेज का एलान करना चाहिए।

केंद्रशासित प्रदेश के 14 राजनीतिक नेताओं के साथ प्रधानमंत्री की बैठक पर उन्होंने कहा कि यह बहुत ही सकारात्मक कदम है। सबसे अहम बात यह है कि देश विरोधी करार दे खारिज कर दिए गए नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी समेत अन्य सभी लोग इसमें शामिल हुए।

सभी लोगों ने बहुत ही बेबाकी से अपने दिल की बात कही और प्रधानमंत्री ने सभी को धैर्य से सुना। साढ़े तीन घंटे तक बैठक चली और मेरी राय से यह बहुत ही सकारात्मक पहल है क्योंकि गतिरोध तोड़ने के लिए किसी पहल की आवश्यकता थी।