ऑक्सफोर्ड कोरोना वैक्सीन: डेढ़ की बजाए दो पूर्ण खुराक ज्यादा प्रभावी, विश्वविद्यालय ने दी जानकारी

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ऑक्सफोर्ड की कोविड-19 वैक्सीन मरीजों पर तब अधिक प्रभावी होगी, जब यह एक पूरी खुराक और एक आधी बूस्टर खुराक की बजाय दो पूरी खुराक के रूप में दी जाए।ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने गुरुवार को इस संबंध में जानकारी दी।  

एस्ट्राजेनेका द्वारा लाइसेंस के लिए पंजीकृत करवाई गई ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को लेकर विश्वविद्यालय ने अंतरिम लेट स्टेज ट्रायल नतीजों को प्रकाशित किया है। इसमें बताया गया है कि वैक्सीन मरीजों पर अधिक प्रभावकारी होती है, जब इसकी दो पूर्ण खुराक दी जाती है। हालांकि, इन नतीजों पर अभी अधिक काम किए जाने की आवश्यकता है।  

पहले और दूसरे चरण के परीक्षणों की विस्तृत जानकारी को गुरुवार को प्रकाशित किया गया। लेकिन इसमें आधी खुराक के बाद पूरी खुराक को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई, जिसे लेकर ऑक्सफोर्ड ने कहा था कि यह अनियोजित थी। हालांकि, नियामकों द्वारा इसे मंजूरी दे दी गई थी। 

दरअसल, नंवबर में ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने अपनी साझा वैक्सीन के ट्रायल में त्रुटि स्वीकार की थी। वैक्सीन के परीक्षण के दौरान जिन्हें वैक्सीन की कम डोज दी गई उन पर उसका 90 फीसदी असर हुआ, जबकि जिन्हें दो पूरी खुराक दी गई उनमें असर 62 फीसदी ही पाया गया।

इससे पहले बताया गया, ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के अंतिम चरण के परीक्षण के परिणामों के मुताबिक लगभग 24,000 लोगों में से मात्र तीन लोगों में ही वैक्सीन के दुष्परिणाम देखे गए। मेडिकल जर्नल लैंसेट में छपे परिणामों की मानें तो जिन लोगों को वैक्सीन दी गई, उनमें से ना ही किसी की मृत्यु हुई और ना ही किसी को अस्पताल में भर्ती कराया गया। 

लैंसेट में छपे शोध में बताया गया है कि परीक्षण के दौरान कोरोना वैक्सीन के दो फुल डोज देने पर 62 फीसदी प्रभावी क्षमता और पहले आधा डोज फिर पूरा डोज देने पर करीब 90 फीसदी प्रभावी क्षमता देखने को मिली। अब दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने आशा जताई कि कोरोना वैक्सीन को आने वाले सप्ताह में नियामक संस्था से स्वीकृति मिल जाएगी।