नागौर के छोटे से गांव लोरोली के नोरत ने डिजीटल क्षेत्र मे बनाये रिकोर्ड

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सीकर| सफलता का कोई शॉर्टकट नही होता, इसके लिए संघर्ष जरूरी है। इस बात को साकार किया है- नोरतराम लोरोली |

नागौर जिले के छोटे से गांव लोरोली के नोरतराम लोरोली ने दलित, पिछडे और वंचित वर्ग की आवाज उठा कर सोशल मीडिया के माध्यम से एक नयी मिसाल पेश की है। नोरतराम लोरोली ने मीडिया क्षेत्र में चैनल “अम्बेडकराइट पीपुल्स वायस” (Ambedkarite People’s Voice) की शुरुआत कुछ समय पहले ही की थी। इस चैनल के यूट्यूब पर करीब 7 लाख सब्सक्राईबर है। इस चैनल पर दलित, पिछडे, गरीब और वंचित वर्ग के लोगो की आवाज़ उठायी जाती हैं, जिनकी खबर मैनस्ट्रीम मीडिया में नही प्रकाशित की जाती हैं। ऐसी खबरें के कवरेज से कही लोगों को न्याय मिलता हैं।

सोशल मीडिया पर वेरीफेशन बैज लेने वाले राज्य के पहले यूट्यूबर पत्रकार

नोरतराम लोरोली की बढती हुई लोकप्रियता और सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सोशल मीडिया के प्लेटफार्म फेसबुक, ट्वीटर और यूट्यूब ने उनको वेरीफाइड कर ब्लूटिक प्रदान किया है। लोरोली ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाले राजस्थान के पहले यूट्यूबर पत्रकार है। उनको सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्म पर लाखों लोग पसंद करते है। इस सफलता के लोरोली सोशल मीडिया के माध्यम से अपने प्रशंसक और समर्थको का आभार व्यक्त किया। उन्होने कहा कि लोगो के प्यार और स्नेह ने ही उनको मजबूत बनाया है।

साधारण परिवार से कैसे बने डिजीटल दुनिया के स्टार

नोरतराम लोरोली का जन्म राजस्थान के नागौर जिले के लोरोली गांव में एक साधारण परिवार में हुआ। प्राथमिक शिक्षा अपने गांव से ही अपने पिता छोटूराम बरवड की प्रेरणा से प्राप्त की। छोटूराम बरवड कहते है कि मैं विषम परिस्थितियों के कारण अनपढ रहा मगर मैं अपने बच्चों को पढता हुआ और आगे बढते हुए देखना चाहता हूँ।

नोरतराम लोरोली की उच्च शिक्षा सीकर जिले से हुई। यहां पर उन्होंने कॉलेज शिक्षा के समय राजस्थान में एक छात्र संगठन की शुरुआत की और गरीब और वंचित वर्ग के छात्रों की मदद करने लगे। महाविधालय के होने वाले छात्रसंघ चुनावों मे अपने प्रत्याशी उतारने लगे। बाबा साहब अंबेडकर की सोच कि “हर क्षेत्र में हर वर्ग को समान प्रतिनिधित्व मिले” पर कार्य करते हुए,कही गरीब छात्रों को छात्रसंघ अध्यक्ष निर्वाचित करवाये। लेकिन समय साथ जब राजनीति से मन उठा तो मीडिया के क्षेत्र में दलित व पिछडे वर्ग की कमी को देखते हुए इस पर काम करने की ठानी। जहां से उन्होंने यूट्यूबर की शुरुआत की और मात्र 60-70 दिनों में उनके एक लाख सब्सक्राईबर पूरे हो गए। जिसके बाद उन्होने पीछे मुडकर नही देखा और मीडिया के क्षेत्र में कही बडे कीर्तिमान स्थापित किए।

बाबा साहब अंबेडकर को मानते प्ररेणास्रोत

नोरतराम लोरोली ने कहा कि वो भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर को अपना प्ररेणास्रोत मानते हैं। बाबा साहब की एक विचार कि युवाओं को बुध्दि और विवेक में किसी से कम नही रहना चाहिए। को प्ररेणा मानकर जीवन में आगे बढ़ने की ताकत मिलती है। उन्होनें कहा कि बचपन से ही मैंने उतार चढाव और सामाजिक भेदभाव को देखा है और महसुस किया है। उसके कारण ही मैंने संघर्ष बचपन से ही शुरू किया।