एनडीआरएफ के डीजी का दावा- ऑपरेशन ‘यास’ के दौरान किसी की मौत नहीं हुई

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    ताउते चक्रवात ने भारत में कम से कम 193 लोग मारे गए थे, इसमें सबसे बड़ी दुर्घटना बार्ज की थी इसकी वजह से मौतों का आंकड़ा बढ़ गया। इसके तुरंत बाद तूफान यास आया लेकिन पिछली गलती को न दोहराते हुए, केंद्र ने राज्यों के साथ आपदा प्रबंधन स्थापित किया। इसका लक्ष्य था कि चक्रवात यास से किसी को कोई नुकसान न पहुंचे।

    एनडीआरएफ के डीजी एस एन प्रधान ने दावा किया कि चक्रवात यास से कोई मौत नहीं हुई। उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ ने बंगाल में 15 लाख लोगों से अधिक लोगों को और ओडिशा में कम से कम सात लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया। 

    उन्होंने कहा कि दोनों राज्य चक्रवात के रास्ते में थे, वहीं चक्रवात यास को गंभीर तूफान और खतरनाक बताया गया था। आगे बताया कि यह हमारे लिए एक लिटमस टेस्ट से कम नहीं था। हताहत लोगों की संख्या कम थी, यानि कहें तो चमत्कार से कम नहीं था, वहीं ओडिशा के क्योंझर और मयूरभंज जिलों में दो लोगों की मौत हुई हैं।

    डीजी प्रधान ने कहा कि छह चक्रवात प्रभावित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में एनडीआरएफ की 106 टीमें लगाई गई थी। पश्चिम बंगाल में 46 टीमें, ओडिशा में 52, झारखंड में आठ और तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में तीन-तीन टीमें साथ ही एक टीम को अंडमान द्वीप समूह में भी तैनात किया गया था। 

    चक्रवात के बाद एक रिपोर्ट के अनुसार, एनडीआरएफ ने ओडिशा में 93 और बंगाल में 873 लोगों को रेस्क्यू किया, जिससे लोगों की जान बच गई। लैंडफॉल के बाद, सैनिकों ने अन्य राहत कार्यों में राज्य प्रशासन और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल की मदद करने के अलावा ओडिशा में 634 किमी और बंगाल में 206 किमी सड़कों को साफ किया।

    चक्रवात ताउते ने महाराष्ट्र और गुजरात में जमकर तबाही मचाई थी। इसके सात दिन के बाद यास आया। ताउते तूफाने में कम से कम 193 लोगों की मौत हो गई थी। गुजरात में मुख्य रूप से दीवार और इमारत गिरने से 67 लोगों की मौत हो गई और महाराष्ट्र सबसे ज्यादा हताहत महाराष्ट्र से हुआ था, जहां ओएनसीजी के बार्ज पी-305 पर 70 लोगों की जान चली गई थी। जो तूफान के कारण अरब सागर में डूब गया। ताउते चक्रवात से कर्नाटक में नौ और गोवा में तीन लोगों की मौत हुई।