अंटीलिया मामले में नया मोड़: पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर ने CM उद्धव ठाकरे को आठ पेज की चिट्ठी लिखकर खोले सनसनीखेज राज

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    मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक से भरी स्कॉर्पियो मिलने के मामले में तबादला किए गए मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। इस पत्र ने महाराष्ट्र की राजनीति में हड़कंप मचा दिया है। सीधा मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में परमबीर सिंह ने गंभीर आरोप लगाए हैं। इस चिट्ठी के सामने आने के बाद महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी की सरकार घिर गई है और गृहमंत्री अनिल देशमुख के इस्तीफे की मांग की जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने इसी मामले में गिरफ्तार हुए पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को हर महीने 100 करोड़ रुपये बार, रेस्टोरेंट और होटल से वसूली करने का लक्ष्य दिया था। पढ़ें चिट्ठी की 10 बड़ी बातें:- 

    परमबीर सिंह ने चिट्ठी में लगाए ये आरोप:-

    मेरा स्थानांतरण महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम, 1951 की धारा 22 एन (2) के तहत किया गया था। जिसमें कारण बताया गया है कि मेरे स्थानांतरण की आवश्यकता प्रशासनिक अनिवार्यता थी। मेरा मानना है कि स्थानांतरण का कारण जो सरकार द्वार नोट किया गया है उसमें एंटीलिया की घटना की  स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करना है।

    परमबीर सिंह ने अपनी चिट्ठी में कहा है कि गृह मंत्री अनिल देशमुख ने ‘लोकमत’ को दिए साक्षात्कार जिसे 18 मार्च 2021 को बड़े पैमाने पर रिपोर्ट की गई, जिसमें कहा गया था:-  मुंबई पुलिस और मेरे द्वारा एंटीलिया घटना की जांच में गंभीर खामियां थीं। मेरी गलतियां क्षमा के लायक नहीं थी; और मेरा स्थानांतरण प्रशासनिक आधार पर नहीं हुआ है।

    परमबीर सिंह ने कहा कि अनिल देशमुख ने सचिन वाजे को कई बार घर पर मिलने के लिए बुलाया था। गृह मंत्री ने वाजे को फंड का जुगाड़ करने के लिए भी कहा था। इतना ही नहीं वाजे को हर महीने 100 करोड़ रुपये की वसूली का भी लक्ष्य दिया था। गृह मंत्री ने वाजे को बताया था कि मुंबई में लगभग 1,750 बार, रेस्तरां और अन्य प्रतिष्ठान हैं। प्रत्येक से हर महीने 2-3 लाख अगर लिए जाएं तो 40-50 करोड़ का जुगाड़ हो जाएगा। गृह मंत्री ने कहा था कि बाकी बची रकम अन्य स्रोतों से बनाया जा सकता है।

    परमबीर सिंह ने अपने इस पत्र में वसूली को लेकर एसपी पाटील नाम के एक पुलिस अधिकारी के साथ हुए उनके बातचीत का जिक्र भी किया है। परमबीर सिंह और एसपी पाटील के बीच 16 और 19 मार्च के बीच बातचीत हुई थी।

    परमबीर सिंह- पाटील, गृह मंत्री और पलांडे ने कितने बार और रेस्टॉरेंट और कितने रुपयों का टारगेट देने को कहा है?
    परमबीर सिंह- अर्जेंट प्लीज
    एसीपी पाटील- 1,750 बार और रेस्टोरेंट्स। प्रत्येक से तीन लाख रुपये। टोटल कलेक्शन लगभग 50 करोड़ रुपये। पलांडे और मेरे साथ भुजबल थे, तब उन्होंने यह इच्छा जताई।
    परमबीर सिंह- आप पलांडे से कब मिले?
    एसीपी पाटील- 4 मार्च को मिला।
    परमबीर सिंह- आप गृहमंत्री से कब मिले?
    एसीपी पाटील – पलांडे से जब मिला उससे 4 दिन पहले। हुक्का पार्लर को लेकर बैठक हुई.
    परमबीर सिंह- वाजे और गृहमंत्री के बीच मीटिंग कब हुई?
    एसीपी पाटील – वाजे और गृहमंत्री के बीच कब भेंट हुई, वो अभी याद नहीं।
    परमबीर सिंह- तुमने कहा था कि तुम्हारी मुलाकात से कुछ दिनों पहले ही यह भेंट हुई थी।
    एसीपी पाटील – हां सर, शायद फरवरी के आखिर में।
    परमबीर सिंह- पाटील, मुझे और भी कुछ जानकारियां चाहिए। गृहमंत्री से मिलने के बाद वाजे आपसे मिले थे क्या?
    एसीपी पाटील – हां सर, वाजे मुझसे मिले थे।
    परमबीर सिंह- गृहमंत्री ने उनसे क्या बात की यह वाजे ने आपको बताया क्या ?
    एसीपी पाटील – गृहमंत्री ने 1750 बार-रेस्टॉरेंट में से प्रत्येक से 3 लाख रुपये यानी कुल 40-50 करोड़ की वसूली का टारगेट दिया है, ऐसा वाजे ने कहा।
    परमबीर सिंह- अच्छा, क्या गृह मंत्री ने आपसे भी यही कहा था।
    एसीपी पाटील- 4 मार्च को उनके पीए संजीव पलांडे ने मुझसे ये कहा था।

    चिट्टी में परमबीर सिंह ने दादरा नगर हवेली के सांसद मोहन भाई सांजीभाई डेलकर की 22 फरवरी को हुई मौत की जांच को लेकर भी गृह मंत्री पर सवाल खड़े किए। नगर हवेली से सांसद 58 वर्षीय डेलकर का शव दक्षिणी मुंबई के मरीन ड्राइव के एक होटल में मिला था। परमबीर सिंह ने कहा कि मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में आत्महत्या के मामले एडीआर नंबर 5 /21 में दर्ज किया गया था। इसकी जांच मरीन ड्राइव पुलिस द्वारा अच्छे से की जा रही थी, लेकिन माननीय मंत्री ने इस मामले को एसआईटी को सौंप दिया।

    उन्होंने गृह मंत्री पर पुलिस के काम में हस्तक्षेप देने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा मुंबई पुलिस आयुक्त के रूप में पिछले एक वर्ष का जो अनुभव रहा है उसके आधार पर पर मैं कह रहा हूं कि गृह मंत्री ने कई मौकों पर मुंबई पुलिस के कई अधिकारियों को, पुलिस जांच में कार्रवाई के एक विशिष्ट तरीके को अपनाने के निर्देश देने के लिए ज्ञानेश्वर स्थित अपने आधिकारिक निवास पर बुलाया। राजनीतिक हस्तक्षेप के ये कार्य अवैध और असंवैधानिक थे।

    .मैं विनम्रतापूर्वक के साथ कहता हूं कि मैं अपने पुलिस बल की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं। हालांकि, राजनीतिक हस्तक्षेप के उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि अधर्म की जिम्मेदारी कहीं और झूठी हो सकती है।

    मेरे खिलाफ.कोई भी सामग्री या साक्ष्य का प्रमाण नहीं है- सबूत से दूर- न तो मेरे खिलाफ पाया गया या मेरे खिलाफ लगाया गया। अनुमानों, संदेह और शुद्ध अटकलों को छोड़कर, मेरे खिलाफ किसी भी प्रकार का कोई विवरण नहीं मिला है। सचिन वाजे के कॉल रिकॉर्ड्स और फोन डाटा की जांच की जाए ताकि आरोपों की सच्चाई का पता चल सके और सच्चाई सामने आए।

    मैंने राष्ट्र और राज्य की सेवा करने वाले एक सेवक के रूप में 32 साल से अधिक समय तक मुंबई के लोगों और पुलिस विभाग के लिए काम किया है। मुझे कई प्रतिष्ठित सेवा मेडल जैसे- नक्सली क्षेत्र, डीजीपी का प्रतीक चिन्ह- 2004, विशेष सेवा पदक- 2006 और मेधावी सेवाओं के लिए पुलिस पदक मिले हैं।

    चिट्ठी के अंत में परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाते हुए कहा कि मैंने आपको सच्ची तस्वीर से विनम्रतापूर्वक अवगत कराया है ताकि आप इस पर विचार और सुधारात्मक कार्रवाई कर सके।