मंत्रियों के समूह ने BSNL और MTNL का विलय टाला, वित्तीय कारणों से लिया फैसला, जानें क्या है पूरा मामला

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केंद्रीय मंत्रियों के एक समूह ने पब्लिक सेक्टर की दूरसंचार कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल का विलय फिलहाल टाल दिया है। सूत्रों के मुताबिक ऐसा समझा जाता है कि वित्तीय कारणों से इस प्रस्तावित विलय को टालने का निर्णय किया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई वाले एक मंत्री समूह ने इस बाबत फैसला किया है। मंत्रियों के समूह ने बीएसएनएल के नोएडा स्थित 6,000 वर्ग मीटर के भूखंड को सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन को बेचने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी। इस भूखंड की बिक्री एक लाख रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से होगी।  

केंद्रीय कैबिनेट ने घाटे में चल रही दूरसंचार कंपनियों और बीएसएनएल और एमटीएनएल के रिवाइवल के लिए 69,000 करोड़ रुपये के पैकेज को अपनी मंजूरी दी थी। इस रिवाइवल पैकेज में दोनों कंपनियों का विलय प्रस्ताव भी शामिल था।

एक ऑफिशियल सूत्र के मुताबिक ”मंत्रियों के समूह ने एमटीएनएल और बीएसएनएल के विलय को टाल दिया है। मुख्य रूप से एमटीएनएल पर बहुत अधिक कर्ज होने की वजह से इस बाबत निर्णय किया गया है।”

31 मार्च, 2020 को समाप्त वित्त वर्ष के ऑडिटेड वित्तीय परिणामों के मुताबिक बीएसएनएल पर 87,618 करोड़ रुपये और एमटीएनएल पर 30,242 करोड़ रुपये की कुल वित्तीय देनदारी थी। 

दूरसंचार विभाग ने बीएसएनएल को मुंबई और दिल्ली टेलीकॉम सर्किल में ऑपरेट करने का लाइसेंस दिया है, जहां एमटीएनएल से ऑपरेट कर रही है।

सूत्रों के मुताबिक कर्ज के अलावा बीएसएनएल और एमटीएनएल कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर में अंतर और उन्हें एक-दूसरे के बराबरी में लाना एक अलग तरह की चुनौती है। 

मंत्रियों के समूह ने जहां टेलीकॉम पीएसयू के विलय को टाल दिया। दूसरी ओर एमटीएनएल की बजाय बीएसएनएल को दिल्ली और मुंबई में 4जी स्पेक्ट्रम के आवंट को अपनी संस्तुति दे दी। 

मंत्रियों का यह समूह बीएसएनएल और एमटीएनएल के 10 करोड़ रुपये से ज्यादा और 100 करोड़ रुपये से कम की परिसंपत्तियों की बिक्री को लेकर फैसला करेगा। वहीं, 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की परिसंपत्तियों की बिक्री के लिए दीपम मैकेनिज्म का सहारा लिया जाएगा।