अफगानिस्‍तान के मुद्दे पर मास्‍को फार्मेट में बैठक आज, भारत और तालिबान भी होगा शामिल, सुलझेंगे मुद्दे!

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रूस (Russia) की राजधानी में आज मास्‍को फार्मेट की तीसरी बैठक होने जा रही है. अफगानिस्‍तान (Afghanistan) के हालात और तालिबान (Taliban) को लेकर होने वाली ये बैठक काफी खास है. इस बैठक में दस देशों शीर्ष अधिकारी शामिल हो रहे हैं, जिसमें भारत भी शामिल है. तालिबान को भी इसमें शामिल होने का न्‍यौता दिया गया था, जिस स्‍वीकारते हुए उसका प्रतिनिधिमंडल भी इसमें शिरकत करने वाला है.

अफगानिस्‍तान की राजनीतिक और सैन्‍य हालातों पर किया जाएगा विचार विमर्श

मास्को फार्मेट के तहत होने वाली इस बैठक में अफगानिस्‍तान की राजनीतिक और सैन्‍य हालातों पर विचार विमर्श किया जाएगा. स्‍पूतनिक के मुताबिक इसमें अफगानिसतान में मानवीय आधार पर दी जाने वाली मदद और वैश्विक स्‍तर पर उसको की जाने वाली मदद पर भी विचार होगा. अफगानिस्‍तान में सरकार बनाने के बाद ये पहला ऐसा मंच है जहां पर तालिबान एक साथ दस देशों के समक्ष अपने विचार रखेगा.

बैठक के बाद जारी हो सकता है संयुक्‍त बयान

इस बैठक को रूस के विदेश मंत्री लावरोव संबोधित करेंगे. बैठक के बाद एक संयुक्‍त बयान के जारी होने की भी उम्‍मीद की जा रही है. तालिबान सरकार के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है तालिबान की तरफ से इस बैठक में शिरकत लेने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्‍व अफगानिस्‍तान की तालिबान सरकार के उप प्रधानमंत्री अब्‍दुल सलाम हनाफी करेंगे. इसमें कहा गया है कि तालिबान की योजना आपसी सहयोग और सहमति वाले मुद्दों पर विश्‍व के दूसरे देशों के साथ आगे बढ़ने की है.

क्या है मास्‍को फार्मेट?

गौरतलब है कि मास्‍को फार्मेट की शुरुआत साल 2017 में हुई थी. उस वक्‍त इसमें भारत और रूस के अलावा चीन, अफगानिस्‍तान, ईरान, पाकिस्‍तान शामिल थे. भारत की तरफ से इस बैठक में शिरकत लेने की घोषणा कर दी गई है. बता दें कि भारत अफगानिस्‍तान पर करीब से नजर रखे हुए हैं. दूसरे देशों के साथ भारत ने भी तालिबान के मुद्दे पर फिलहाल दूरी बनाकर रखी हुई है. भारत चाहता है कि तालिबान में शांति बनी रहे. भारत पूरे क्षेत्र में शांति चाहता है और ये भी चाहता है कि अफगानिस्‍तान आतंकियों की जमीन न बन सके.