CBI और ED प्रमुखों के कार्यकाल बढ़ाने पर मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर कसा तंज, बोले – ‘वे सबकुछ कंट्रोल करना चाहते जैसे 100 सालों तक राज करने जा रहे हों’

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mallaikarjun khadge
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विपक्षी दलों ने सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के प्रमुखों का कार्यकाल बढ़ाने के सरकार के कदम का विरोध किया है. सरकार ने हाल ही में दो अध्यादेशों को लागू किया है, जिसके तहत सीबीआई और ईडी प्रमुखों के कार्यकाल को इसे मौजूदा दो साल के मुकाबले पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है. राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार अभी ये अध्यादेश क्यों जा रही है और कार्यकाल को 2 साल से 5 साल तक बढ़ाने की जरूरत क्यों है?

अंग्रेजी अखबार ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ से बातचीत में खड़गे ने तंज कसते हुए कहा कि क्या इससे देश की अर्थव्यवस्था ठीक होने वाली है. उन्होंने कहा, “क्या देश की कानून-व्यवस्था खत्म होने जा रही है या कोई युद्ध होने जा रहा है? अगर वे (सरकार) इंतजार करते तो वे संसद के रास्ते जाते और एक बिल पेश करते जिस पर विस्तृत तरीके से चर्चा हो सकती थी. वे दिखाना चाहते हैं कि वे कुछ भी कर सकते हैं क्योंकि उनके पास बहुमत हैं. वे पहले से ही सीबीआई, ईडी और दूसरी एजेंसियों का इस्तेमाल कर रहे हैं.”

कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार ने पहले ही ED को गृह मंत्रालय के अंदर कर दिया है, जबकि पहले ये वित्त मंत्रालय के तहत आती थी. उन्होंने कहा कि अब आप सीबीआई और ईडी प्रमुखों का कार्यकाल 5 सालों तक बढ़ा रहे हैं. इसका मतलब है कि वे अपनी पसंद के लोगों को लंबे समय तक रखना चाहते हैं ताकि वे आम आदमी, विपक्षी दलों, एनजीओ और पत्रकारों को परेशान कर सकें.

अंत में वे तानाशाह बनना चाहते हैं- खड़गे

उन्होंने कहा, “हमने इसका विरोध किया है क्योंकि हम एक लोकतांत्रिक देश हैं. इससे पहले किसी प्रधानमंत्री को अध्यादेश जारी करने की जल्दी नहीं थी. वे संविधान को बर्बाद कर रहे हैं और लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं. अंतत: वे तानाशाह बनना चाहते हैं. वे हर चीज को नियंत्रण में रखना चाहते हैं जैसे वे 100 सालों तक राज करने वाले हों.”

इस सवाल पर कि क्या ये ईडी के निदेशक संजय कुमार के कार्यकाल को बढ़ाने के लिए किया गया है, उन्होंने कहा, “मैं किसी एक व्यक्ति के बारे में बात नहीं कर रहा हूं. अगर सरकार 5 साल तक के लिए कार्यकाल बढ़ाती है, तो स्वभाविक है कि उनकी पसंद के लोगों को सेवा विस्तार मिलेगा. लेकिन कार्यकाल बढ़ाने की जरूरत क्या है. क्या यह देश हित में है? क्या यह कानून-व्यवस्था के हित में है?”

स्वायत्त संस्थानों को बर्बाद किया जा रहा- खड़गे

खड़गे ने कहा कि विपक्ष इस मुद्दे को संसद में उठाएगी और सरकार से इसकी समीक्षा करने की मांग करेगी. उन्होंने कहा, “हम दूसरे दलों से भी इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाने को कहेंगे क्योंकि केंद्र सरकार संवैधानिक नियमों और प्रक्रिया को नहीं मान रही है. यह किसी एक दल का मुद्दा नहीं है, यह लोकतंत्र को बचाने की बात है. दिन पर दिन, इन स्वायत्त संस्थानों को बर्बाद किया जा रहा है और इनका गलत इस्तेमाल हो रहा है.”

कांग्रेस के अलावा टीएमसी और वामदलों ने भी इस फैसले का विरोध किया. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के सांसद बिनॉय विश्वम ने संकेत दिया कि उनकी पार्टी भी अध्यादेशों को नामंजूर करने वाले एक प्रस्ताव का नोटिस देगी. उन्होंने सोमवार को एक ट्वीट में कहा, ‘‘…रविवार को सरकार ने पिंजरे में बंद अपने तोतों को बचाने के लिए अध्यादेश मार्ग अपनाया. इस अध्यादेश राज के खिलाफ संसद में नामंजूरी प्रस्ताव लाया जाएगा. संविधान को तोड़ मरोड़ कर भारत को एक कमजोर गणराज्य बनाने की (नरेंद्र) मोदी को जल्दबाजी है.