देश में मंहगाई दिन-प्रतिदिन आसमान छू रही है. खाद्य तेल, पेट्रोल डीजल से लगाकर एलपीजी गैस सिलेंडर के लगातार बढ़ते दाम में आम आदमी का बजट बिगाड़ दिया है. सोमवार को पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि पिछले 7 सालों में गैस सिलेंडर की कीमत दोगुनी होकर 819 रुपये प्रति सिलेंडर हो गई है. जबकि डीजल-पेट्रोल पर टैक्स कलेक्शन में 459 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. धर्मेंद्र प्रधान ने ये बात लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कही है.

उन्होंने बताया कि 1 मार्च 2014 को 14.2 किलो के घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत 410.5 रुपये थी. फरवरी में रसोई गैस के दाम में तीन बार बढ़ोत्तरी की गई. वहीं 1 मार्च 2021 को गैस के दाम में 25 रुपये फिर बढ़ा दिए गए. प्रधान ने कहा कि घरेलू सब्सिडी वाले सिलेंडर की कीमत में पिछले कुछ महीनों के दौरान बढ़ोतरी हुई है. इसकी कीमत दिसंबर 2020 में 594 रुपये प्रति सिलेंडर थी और अब 819 रुपये पर है.

पिछले कुछ सालों में कीमतों में हुई बढ़ोतरी से रसोई गैस और पीडीएस केरोसीन ऑयल पर भी सब्सिडी खत्म हो गई है. पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (पीडीएस ) के जरिए गरीबों को बेचे जाने वाले किरोसीन की कीमत मार्च 2014 की 14.96 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर इस महीने 35.35 रुपये पर पहुंच गई है.

पेट्रोल और डीजल की कीमतें भी पूरे देश में अपने रिकॉर्ड स्तर पर हैं. दरें, जो राज्य से राज्य लोकल सेल्स टैक्स (वैट) पर निर्भर करती हैं, वर्तमान में पेट्रोल के लिए 91.17 रुपये प्रति लीटर और डीजल के लिए 81.47 रुपये प्रति लीटर हैं. उन्होंने बताया कि दोनों तेल पर जमा टैक्स 2013 में 52,537 करोड़ रुपये था जो 2019-20 में बढ़कर 2.13 लाख करोड़ रुपये हो गया. और वर्तमान वित्त वर्ष के पहले 11 महीनों में और बढ़कर 2.94 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया.

सरकार ने वर्तमान में पेट्रोल पर 32.90 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क और डीजल पर 31.80 रुपये प्रति लीटर का शुल्क लगाती है. प्रधान ने कहा कि केंद्र सरकार का पेट्रोल, डीजल, एटीएफ, प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल का कुल संग्रह 2016-17 में 2.37 लाख करोड़ से बढ़कर अप्रैल-जनवरी 2020-21 के दौरान 3.01 लाख करोड़ हो गया है.