जयपुर में दांडी मार्च के 91 वर्ष पूरे होने के कार्यक्रम में कांग्रेस असंतोष, रमेश मीणा के बाद दो और विधायकों ने दिखाए तेवर

216

एक ओर तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में ‘आजादी का अमृत महोत्सव” कार्यक्रम में दलगत राजनीति से उपर उठकर जवाहर लाल नेहरू को भी आजादी के आंदोलन का पथ प्रदर्शक बताया. दूसरी ओर जयपुर में दांडी मार्च के 91 वर्ष पूरे होने के कार्यक्रम में कांग्रेसियों में असंतोष की खाई और गहरा गई. मुख्यमंत्री ने यहां प्रतीकात्मक दांडी मार्च निकाला, जिसमें पायलट गुट समर्थित विधायकों ने शिरकत न करके खुला मोर्चा खोल दिया.

मुख्यमंत्री गहलोत ने कुछ विधायकों के शामिल न होने पर मंच से चुटकी भी ली. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए किसी को पीले चावल बांटने की जरूरत नहीं है. ऐसे कार्यक्रम की जहां से भी जानकारी मिले तत्काल शामिल होना चाहिए. पायलट गुट के विधायक कार्यक्रम में शामिल ही नहीं हुए, बल्कि उनके बोल और तीखे हो गए. पहले तो एससी-एसटी विधायकों से भेदभाव का आरोप लगाकर सिर्फ रमेश मीणा ही खफा थे. अब उनके सुर में पायलट गुट के दूसरे विधायकों ने भी मिला दिए हैं. मीणा इस्तीफा तक देने की धमकी दे चुके हैं.

इस बार दौसा से विधायक मुरारी मीना और चाकसू विधायक वेदप्रकाश का साथ रमेश मीणा को मिला। वेद प्रकाश सोलंकी ने कहा कि सरकार के मंत्री एससी-एसटी विधायकों की सुन ही नहीं रहे हैं. यह किसी एक खेमे की बात नहीं है, बल्कि पूरे राजस्थान के एससी-एसटी और अल्पसंख्यक विधायकों की है. उधर विधायक मुरारी ने उनके क्षेत्र में काम न होने का ठीकरा फोड़ा. उन्होंने कहा कि विधानसभा के स्तर पर, सरकार के स्तर पर और पार्टी के स्तर पर जो काम उनके विधानसभा क्षेत्र में होने चाहिए थे, वे नहीं हो रहे हैं। इससे हम परेशान हैं.

दरअसल, पिछले साल सियासी संकट से निकली राजस्थान कांग्रेस में यह फिर विरोध की चिंगारी उठने जैसा है. पायलट खेमे के विधायक दबी जुबान ने कहते हैं कि दोनों गुटों को मिलाने के लिए आलाकमान ने जो कथित समझौता कराया था, वह कहीं नजर नहीं आ रहा है. ढाई साल मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत सरकार चला चुके हैं. आखिर पायलट और उनके समर्थकों की बारी कब आएगी. पिछले साल के सियासी तूफान के बाद न तो मंत्रिमंडल विस्तार कर और न ही बोर्ड कॉरपोरेशन के अध्यक्ष नियुक्त कर नाराज विधायकों को साधने की कोशिश की गई है. दूसरी ओर सरकार का मानना है कि सभी विधायकों को समान व्यवहार किया जा रहा है, इसमें किसी को गुटबाजी नहीं देखनी चाहिए.