भारत ने मंदी को दी मात, विकास दर में 0.4 फीसदी की बढ़त, घरेलू उत्पादन में हुआ 14 हजार करोड़ का इजाफा

455

कोरोना महामारी के दबाव में लगातार दो तिमाही तक बड़ी गिरावट झेलने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था ने आखिरकार मंदी को मात दे दी। दिसंबर तिमाही में जीडीपी ने गिरावट से उबरकर 0.40 फीसदी की विकास दर हासिल कर ली। सरकार ने शुक्रवार को बताया कि अर्थव्यवस्था अब तकनीकी रूप से मंदी से बाहर निकल चुकी है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की शुरुआती दो तिमाहियों में विकास दर शून्य से काफी नीचे चली गई थी। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था भी तकनीकी रूप से मंदी की चपेट में आ गई थी।

हालांकि, v आकार में तेज सुधारों के बूते अर्थव्यवस्था ने तीसरी तिमाही में ही मंदी को पीछे छोड़ दिया। अप्रैल-जून तिमाही में जहां विकास दर शून्य से 23.9 फीसदी नीचे चली गई थी, वहीं जुलाई-सितंबर की दूसरी तिमाही में भी 7.3 फीसदी की बड़ी गिरावट का सामना करना पड़ा था।

अक्तूबर के बाद से ही औद्योगिक गतिविधियों में तेजी और घरेलू उत्पादन व खपत बढ़ने से तीसरी तिमाही में विकास दर 0.40 फीसदी पर आ गई। एनएसओ ने बताया कि 2019-20 की तीसरी तिमाही में 3.3 फीसदी विकास दर रही थी।

सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) को मूल्य के आधार पर देखा जाए तो 2020-21 की तीसरी तिमाही में इसका आकार 36.22 लाख करोड़ पहुंच गया, जो 2019-20 की समान तिमाही में 36.08 लाख करोड़ था। इस तरह घरेलू उत्पादन में 14 हजार करोड़ का इजाफा हुआ है, जो 0.40 फीसदी ज्यादा है।

एनएसओ ने पूरे वित्तवर्ष के दौरान जीडीपी में आने वाली गिरावट के अनुमान को बढ़ा दिया है। सरकार ने जनवरी में 7.7 फीसदी गिरावट का अनुमान लगाया था, जिसे बढ़ाकर 8 फीसदी कर दिया गया है।

इसका मतलब है कि 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 8 फीसदी घट जाएगा। 2019-20 में भारत की विकास दर 4 फीसदी रही थी। अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में चीन की विकास दर 6.5 फीसदी रही, जो पहली तिमाही की 4.9 फीसदी से काफी ज्यादा है।