म्यांमार की मौजूदा हालात पर भारत ने जताई चिंता, कहा- दुष्परिणाम देश के सीमाओं के बाहर भी दिखाई पड़ सकते है- ज्यादा एकजुटता से करना होगा काम

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भारत ने शुक्रवार को म्यांमार में सैन्य शासन के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों को दबाने के लिए हिंसा के इस्तेमाल की निंदा की और कहा कि वहां के हालात को लेकर विश्व को ज्यादा एकजुटता से काम करना होगा। ऐसा न होने की स्थिति में वहां की अस्थिरता से पैदा हुई विकट स्थिति के दुष्परिणाम देश के सीमाओं के बाहर भी दिखाई पड़ सकते हैं।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि के.नागराज नायडू ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अर्रिया फार्मूले के दौरान म्यांमार पर हुई बैठक में कहा कि भारत, म्यांमार में हिंसा के इस्तेमाल और जानमाल के नुकसान की गहरी निंदा करता है।

उन्होंने कहा कि वहां संयम का पालन करना आवश्यक है लेकिन साथ ही मानवीय सिद्धांतों को बनाए रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। नायडू ने कहा कि भारत के लिए म्यांमार में शांतिपूर्ण समाधान होना बहुत जरूरी है। म्यांमार के साथ भारत की लंबी भूमि और समुद्री सीमा जुड़ी है। म्यांमार के लोगों के साथ हमारे लंबे समय से मित्रतापूर्ण संबंध रहे हैं। हम वहां की राजनीतिक स्थिरता को लेकर बहुत चिंतित हैं।

वहीं, इससे पहले गुरवार को ब्रिटेन में म्यांमार के अपदस्थ राजदूत ने ब्रिटिश सरकार से सेना द्वारा भेजे गए राजदूत को मान्यता नहीं देने का आग्रह किया था। साथ ही उन्होंने दूतावास का कामकाज संभालने वाले चिट विन को तुरंत म्यांमार भेजने की अपील की। उनकी इस अपील का ब्रिटिश सरकार ने कोई जवाब तो नहीं दिया है, लेकिन विदेश मंत्री डॉमिनिक राब ने मिन के साहस की प्रशंसा की। साथ ही उन्होंने म्यांमार में लोकतंत्र बहाली की मांग को एक फिर दोहराया है।