भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि आर रविंद्र ने संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद के मुद्दे पर दिया जोर, कहा- यह शांति और सुरक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण

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संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि आर रविंद्र ने ‘हमारा आम एजेंडा’ रिपोर्ट पर सोमवार को महासचिव एंटोनियो गुटेरस के सामने भारत का दृष्टिकोण साझा किया। उन्होंने कहा कि ‘हमारी दृष्टि में आम एजेंडा में बहुपक्षवाद में सुधार, लिंग, मानवाधिकार, विकास, आतंकवाद का मुकाबला, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण, वित्त पोषण, महामारी और टीके, शांति और सुरक्षा और अन्य प्राथमिकताएं शामिल होनी चाहिए।’

उन्होंने कहा कि ‘इन सबके अलावा कई ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मैं इससे अवगत हूं कि महासचिव ने आतंकवाद का मुकाबला करने के मुद्दे को काफी महत्व दिया है और हम संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद विरोधी कार्यालय (यूएनओसीटी) के काम की सराहना करते हैं। लेकिन रिपोर्ट में आतंकवाद को प्राथमिकता देने की जगह उसे सरसरी तौर पर निपटा दिया गया है। वास्तव में, आतंकवाद शब्द रिपोर्ट में केवल दो बार दिखाई देता है जबकि ‘जलवायु परिवर्तन’ 20 बार से अधिक बार और ‘जलवायु’ शब्द 70 से अधिक बार शामिल किया गया है।

रविंद्र ने आगे कहा कि मुझे उम्मीद है कि इसे बाद में या जल्द से जल्द ठीक किया जा सकता है, क्योंकि आतंकवाद शांति और सुरक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण खतरे के रूप में जारी रहेगा और आम एजेंडा को लागू करने में यह सबसे बड़ी बाधा है।

उन्होंने कहा कि हम जलवायु परिवर्तन पर ध्यान देने की भी सराहना करते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि यह आम एजेंडा को परिभाषित करने वाला है। लेकिन जैसा कि हमने पहले भी कहा है, भारत जलवायु परिवर्तन को लेकर पेरिस लक्ष्यों के पथ पर चलने वाला जी-20 में अकेला देश है।

रविंद्र आगे कहा कि ‘हम अभी तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर के करीब नहीं पहुंचे हैं। दरअसल, जून महीन में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन के कार्यकारी सचिव पेट्रीसिया एस्पिनोसा ने विकसित देशों से विकासशील देशों की जरूरतों का समर्थन करने के लिए जलवायु वित्त में सालाना 100 अरब अमेरिकी डॉलर जुटाने के अपने वादे को पूरा करने का आग्रह किया था। यह दीर्घकालिक वित्त पेरिस समझौते का एक प्रमुख स्तंभ है और जलवायु संकट से निपटने के वैश्विक प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण है।